Thursday, September 14, 2017

रिक्शा - संत अमर सिंह जी पटियाला

भाई साहिब अमर सिंह जी पटियाला वाले संगत के किसी काम से पैदल कहीं जा रहे थे।
उनके बड़े बेटे हरवन्त सिंह उनके साथ थे।  
" पिताजी, आप रिक्शा कर लो - सिर्फ एक रुपया  खर्च होगा  - इतनी दूर पैदल जाना है, थक जाओगे " हरवंत सिंह ने कहा। 
उस समय सामने एक मशहूर समोसे बनाने वाले की दुकान पर ताज़े समोसे बन रहे थे।  
भाई साहिब अमर सिंह जी ने कहा  "बेटा हरवन्त !  ये जो सामने इतने स्वादिष्ट समोसे बना रहा है, किसका दिल नहीं करता होगा 
कि दो रुपये खर्च करके समोसे खा लिये जायें।  मगर एक गरीब गुरसिख अपना मन मार लेता है, समोसे नहीं खाता।  उस पैसे को 
बचा कर संगत में सतगुरु के चरणों में नमस्कार कर देता है। 
अब ऐसी नमस्कार की माया में से मैं अपने आराम के लिये  एक रुपया भी खर्च करूं तो मेरा दिल कांपता है बेटा।

1 comment:

  1. Very inspirational thought.....Dhan Nirankar ji

    ReplyDelete

Easy to Criticize —Hard to Tolerate

It seems some people are constantly looking for faults in others—especially in a person or a specific group of people—and take immense pleas...