हमारे पाँव का काँटा - हमीं से निकलेगा
(अज्ञात)
इस शेर में पाँव शब्द का उपयोग एक रुपक अथवा अलंकार के रुप में किया गया है।
यहाँ शायर ये कहना चाहता है कि कोई दूसरा इंसान -चाहे वो हमारा कितना भी हितैषी क्यों न हो - कोई जादू की छड़ी हिला कर हमारे मन से कांटों अर्थात बुराइयों को दूर नहीं कर सकता।
वो हमें स्वयं ही दूर करनी होंगी
और उन्हें अच्छे, नेक और शुभ विचारों से बदलना होगा।
गुरुजन, संतजन, नेक और सज्जन लोग एवं शास्त्र हमें प्रेरणा दे सकते हैं - हमें रास्ता दिखा सकते हैं
लेकिन चलना तो हमें स्वयं ही पड़ेगा
Thanks uncle ji
ReplyDeleteDhan nirankar uncle ji
Absolutely true !!!!
ReplyDeleteAbsolutely Right ji🌸🌺🙏
ReplyDeleteVery True🙏
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