नास्ति राग समं दुःखम् नास्ति त्याग समं सुखम् ॥
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विद्या अर्थात ज्ञान के समान कोई चक्षु नहीं
और सत्य के बराबर कोई तप नहीं
राग अर्थात आसक्ति के बराबर कोई दुःख नहीं
और त्याग के बराबर कोई सुख नहीं है
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त्याग का अर्थ जीवन की सुख-सुविधाओं को त्याग देना नहीं
बल्कि हर परिस्थिति को खुशी से स्वीकार कर लेना है
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