Friday, December 10, 2021

नास्ति विद्या समं चक्षु

नास्ति विद्या समं चक्षु नास्ति सत्य समं तपः ।
नास्ति राग समं दुःखम् नास्ति त्याग समं सुखम् ॥

                    ~~~~~~~~~~~~

विद्या अर्थात ज्ञान के समान कोई चक्षु नहीं 
और सत्य के बराबर कोई तप नहीं 
राग अर्थात आसक्ति के बराबर कोई दुःख नहीं 
और त्याग के बराबर कोई सुख नहीं है 
                    ~~~~~~~~

त्याग का अर्थ जीवन की सुख-सुविधाओं को त्याग देना नहीं 
बल्कि हर परिस्थिति को खुशी से स्वीकार कर लेना है 

No comments:

Post a Comment

न समझे थे न समझेंगे Na samjhay thay Na samjhengay (Neither understood - Never will)

न समझे थे कभी जो - और कभी न समझेंगे  उनको बार बार समझाने से क्या फ़ायदा  समंदर तो खारा है - और खारा ही रहेगा  उसमें शक्कर मिलाने से क्या फ़ायद...