Friday, December 31, 2021

एक और साल समाप्त हो गया - नववर्ष की शुभकामनाएं

एक और साल समाप्त हो गया।
वो साल जो कुछ लोगों के लिए बहुत अच्छा रहा होगा - कुछ के लिए निराशाजनक - और कुछ लोगों के लिए पुराने वर्षों की तरह ही एक और साधारण - औसत वर्ष।

हर पुराना वर्ष हमारे दिलो-दिमाग में कुछ अविस्मरणीय यादें छोड़ जाता है - कुछ मीठी और मधुर यादें - और कुछ कड़वी और दुखपूर्ण यादें।
कुछ लोगों के लिए वर्ष 2021 तन्हाई में डूबा - चिंताओं और निराशाओं से भरा वर्ष रहा होगा - जबकि कुछ अन्य लोगों ने इस एकांत और एकाकी समय को आत्मनिरीक्षण के अवसर के रुप में देखा होगा।

बहुत से लोग अब तक ये महसूस कर चुके हैं कि मानव जाति के रुप में हमारे सामूहिक कार्यों का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है - उसका परिणाम सामूहिक रुप में सबको भुगतना पड़ता है। अगर हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं और इसे छिन्न भिन्न करने की कोशिश करते हैं - तो प्रकृति भी प्रतिक्रिया करती है और हमें भी  उसका फल भुगतना पड़ता है।
यह एक महत्वपूर्ण सबक है जो हमेशा याद रखना चाहिए।

लेकिन अभी भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी कोई जिम्मेदारी महसूस नहीं करना चाहते - वे अपनी सोच और कार्यों में कोई दोष नहीं पाते हैं - और हर बुरी घटना - हर बुरे परिणाम के लिए दूसरों को ही दोष देते हैं - खासकर अपने विरोधियों को। 

साल आते हैं और चले जाते हैं - 
संख्याएँ बदलती रहती हैं - नंबर बदलते रहते हैं।
कल तक 2021 था और अब 2022 हो जाएगा। 
लेकिन, ये नम्बर तो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हैं - जो आमतौर पर पश्चिमी या ईसाई कैलेंडर के रुप में जाना जाता है और सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर है - जिसका उपयोग पूरी दुनिया में होता है। 

वैसे तो संसार में हर संस्कृति - हर धर्म और समुदाय का अपना अपना  कैलेंडर होता है। भारत, चीन , जापान- पंजाब , गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल और दक्षिण भारत - एवं  हिंदू, जैन, ईसाई, मुस्लिम और बौद्ध इत्यादि सभी के अपने अपने कैलेंडर हैं और सबका  अपना अपना "नए साल का दिन" होता है।
लेकिन चूँकि एक समय पर, भारत सहित अधिकांश विश्व पर यूरोपीय और ईसाई शासकों का शासन और नियंत्रण था इसलिए शासित देशों और उपनिवेशों को ग्रेगोरियन (पश्चिमी) कैलेंडर का ही उपयोग करना पड़ता था। सुविधा के लिए, भारत और अन्य सभी देशों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भी इसका उपयोग करना जारी रखा।

लेकिन क्या इस दिन का प्रकृति में - आकाश या ब्रह्मांड में कोई महत्व है? 
एक मान्यता के अतिरिक्त और क्या विशेषता है इस दिन में ?
यह दिन भी अन्य दिनों की तरह ही एक साधारण दिन है - 
कुछ लोगों ने पहली जनवरी को एक नया प्रारम्भ - एक नई शुरुआत के रुप में मान लिया और फिर दुनिया भर ने इसे अपना लिया।
व्यापारियों और मीडिआ ने नए साल के दिन के रुप में  इसका प्रसार-प्रचार करके इसका भारी व्यवसायीकरण कर दिया।  
नव वर्ष के कार्ड, विज्ञापन - तोहफ़े और पार्टियां इत्यादि व्यवसाय के नए साधन बनते  गए। 
हर साल - हर वर्ष हम एक और नया साल मनाते हैं -
हर बार नए संकल्प लेते हैं लेकिन कभी पूरे नहीं करते और अगले साल फिर नए संकल्प कर लेते हैं। 

सम्बन्धियों, मित्रों, प्रियजनों और जानने वालों को आने वाले नए साल के लिए शुभकामनाएं भेजना - और पिछले वर्ष में हुई भूलों और ग़लतियों के लिए क्षमा माँगना एक प्रथा - एक रिवाज़ सा बन गया है।
लेकिन कैलेंडर बदलने के बाद - दो चार दिनों में ही सब कुछ फिर पहले जैसा ही हो जाता है - वैसा ही जैसा कि पहले था। 
सिर्फ कैलेंडर में ही परिवर्तन होता है - बाकी कुछ भी नहीं बदलता।
नए साल का जश्न मनाने और केवल शुभ कामनाओं के आदान प्रदान से ही कुछ नहीं बदलेगा। 
क्योंकि असली बदलाव तो भीतर से आता है। 
अगर हम अपना समग्र दृष्टिकोण - अपना नज़रिया और सोच नहीं बदलते तो जीवन में कोई बदलाव नहीं आ सकता।

साल आते हैं और चले जाते हैं।
कौन जानता है कि हम एक और नया साल देखने के लिए जीवित रहेंगे या नहीं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि हम हर इक दिन और हर एक पल को किस तरह से जीते हैं - हर कार्य को किस ढंग से करते हैं।
इसलिए अपने जीवन को पूर्ण रुप से - आनंदपूर्वक और सही ढंग से जिएं।
अपने जीवन के हर पल को सुंदर रुप से संजोएं - सँवारे और सजाएं।

आशा है कि जल्द ही परिस्थितियां फिर से  सामान्य हो जाएंगी। 
और जल्द ही - हम स्वतंत्र रुप से सांस लेने - चलने - यात्रा करने - और प्रियजनों से  मिलने में सक्षम हो जाएंगे। 
आइए - पिछले वर्ष के अनुभवों से मिले सबक को याद रखें और अपने जीवन को - आस पास के वातावरण को और पूरे संसार को बेहतर बनाने का प्रयास करें।
कहते हैं कि ज्ञान और प्रेम ही सच्चा प्रकाश है।
इसलिए - सच्चे ज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित करें - 
आनंद की ज्योति बनें।
अतीत के पश्चाताप को छोड़ कर  भविष्य को सुंदर बनाने का प्रयत्न करें।
सरल, शांतिपूर्ण, व्यावहारिक और सौहर्दय-पूर्ण जीवन जीने का प्रयास करें।
अगर किसी ने हमारे साथ कुछ बुरा किया तो उसे भूल जाएं और क्षमा करदें। 
अपने दिल और दिमाग से अज्ञानता के अंधेरे को दूर करने के लिए ज्ञान का दीपक जलाएं - 
और अपने आसपास भी सत्य का प्रकाश फैलाएं।
दूसरों की सेवा करने के लिए मन में करुणा का दीपक जलाएं - 
जो भी अच्छा कर सकते हैं - जितना भला कर सकते है, करें - 
और जानबूझकर किसी को भी चोट पहुंचाने की कोशिश न करें।
अपने हृदय को कृतज्ञता से भर लें - उस सब के लिए जो ईश्वर ने हमें प्रदान किया है।
सभी की प्रगति - उत्तम स्वास्थ्य और संसार में शांति के लिए प्रार्थना करें। 
और साथ ही अपना - स्वयं की उन्नति और अपने विचारों में प्रगति का भी ध्यान रखें।
           नववर्ष की शुभकामनाएं।
                                                  ' राजन सचदेव '

Another year is coming to an end

Another year is coming to an end.
A year that might have been outstanding for some, devastating for others, and just another average year for many.

Every year leaves some unforgettable memories in our minds - some good ones and some not-so-good ones.
For many, 2021 might have been a year of regrets and anxieties - disappointments and complaints - while the others might have seen it as an opportunity for introspection.

Many have realized by now that our collective actions as a human race have collective consequences for the whole world. If we play with nature and disrupt it, it can react and disturb us too.
It is indeed an important lesson to remember.
However, there are many who still do not want to feel responsible at all. They find no fault in their own thinking and actions - and blame others for every bad thing that happens - especially on their opponents.

                Years come and go - the numbers keep on changing.
Last year was 2021, and now it will be 2022.
However, these numbers are according to Gregorian - or commonly known as the western or Christian calendar - which is the most acknowledged international calendar and used all over the world.
Though, every culture, religion, and community in the world has its own calendar that starts on a different day of the year. Hindus, Jains, Christians, Muslims and Buddhists, all have their own calendars and a "New Year's Day.
Since at one point in history, most of the world, including India, was ruled and controlled by the European and Christian rulers - the ruled countries and colonies had to use the Gregorian calendar. 
For convenience, India and all other countries continued using it even after gaining independence from British rule.

But does this day has any significance in time and space? In nature or in the universe?
It is simply another ordinary day - picked up by some as the new beginning and followed by the rest of the world.

Moreover, January 1st - as New Year's Day has been heavily commercialized by entrepreneurs and the media by selling cards, souvenirs - advertising parties and count-down events & gatherings, etc.

Year after year, we keep on celebrating yet another New Year - making new - never to be fulfilled resolutions. 
Asking for forgiveness and sending well wishes for the coming new year to everyone we know.
But unfortunately, after the calendar changes, everything goes back to as it was. 
Nothing really changes.
The only change that happens is on the calendar.
The change of the date - the new year's celebration will not change anything unless we change our overall perspective - our outlook and thinking.
Because the real change has to come from within.

                       Years come and go.
Who knows if we will live to see another year or not.
However, what is important is how we live and act every day and every moment.
As they say: Life is not measured by the breaths you take, but by the moments that take your breath away.'
So live your life fully.
Cherish every moment of your life.
Hopefully, things will get back to normal. 
And soon enough - everyone will be able to breathe freely - walk freely, travel, and meet the nears and dears freely.

Let's remember the lessons from the last year and try to build a better life and a better world around us.
Let's remember an age-old saying that True Light is knowledge and love.
Therefore - Let's kindle the light of True Gyana - the pure knowledge, wisdom, and love in our hearts.
Let's light the lamp of knowledge to dispel the darkness of ignorance from our hearts and minds - and those around us.
Let's be the light of joy.
Let's drop the regrets of the past - and plan for a better future.
Let's try to live a simple, peaceful, practical, and helpful life.
Let us forgive and try to forget what wrong others might have done to us.
Let's light the lamp of compassion to serve others - 
To do all the good we can and try not to hurt anyone intentionally.
Let's fill our hearts with gratitude for the abundance that the divine has bestowed upon us.
Let's hope for progress and excellent health for everyone and Peace in the world.
And at the same time, take care of our - Self as well.
              Happy New Year.
                                               ' Rajan Sachdeva '

Thursday, December 30, 2021

Listen carefully - ध्यान से सुनो

Listen carefully -
Not to reply -
Not to argue -
But to learn and understand

हर बात को ध्यान से सुनो  -
लेकिन जवाब देने के लिए नहीं  -
बहस करने के लिए नहीं  -
बल्कि सीखने और समझने  के लिए 

Wednesday, December 29, 2021

اب تو کوئی راہ دکھا دے اے داتا

اب تو کوئی راہ دکھا دے اے داتا
ہر مشکل آسان بنا دے اے داتا

اندھیارا پھیلا ہے کونے کونے میں
اب کوئی سورج چمکا دے ایا داتا

چھاے ہیں ہر طرف نراشا کے بادل
آشا کے اب پھول کھلا دے اے داتا

سنکٹ میں ہے پڑی ہوئی کب سے دنیا
راحت کی اب سانس دلا دے ایا داتا

ملنا جلنا ہوسب سے  پہلے جیسا
قید سے اب آزاد کرا دے اے داتا

مشکل میں سب اک دوجے کے کام آین
سب کو ایسا پاٹھ  پڑھا  دے اے داتا

پھول جہاں کھلتے ہوں پیار موہبت کے
ایسا کوئی  باغ  سجا دے اے داتا

ہم نربل ہیں شرن تمہاری آیے ہیں
بھوساگر سے پار کرا دے ایا داتا

بھرم  وہم  سب دل سے مٹ جایں 'راجن
گیان کی ایسی جیوتی جلا دے اے داتا
                  " راجن سچدیو "

Ab to koyi raah dikhaa day ae Daata

Ab to koyi raah dikhaa day ae Daata
Har mushkil aasaan banaa day ae Daata

Andhiyaara phailaa hai konay konay mein
Aab koyi sooraj chamkaa day ae Daata

Chhaaye hain har tarf niraashaa kay baadal
Aasha kay ab phool khilaa day ae Daata

Sankat me hai padi huyi kab say duniya
Raahat ki ab saans dilaa day ae Daata

Milnaa julnaa ho sab say pehlay jaisaa
Qaid say ab aazaad karaa day ae Daata

Mushkil mein sab ik doojay kay kaam aayen
Sab ko aisaa paath padhaa day ae Daata

Phool jahaan khiltay hon pyaar mohabbat kay
Aisaa koyi baag sajaa day ae Daata

Ham nirbal hain sharan tumhaari aaye hain
Bhav-sagar say paar karaa day ae Daata

Bharam veham sab dil say mit jayen 'Rajan'
Gyaan kee aisi jyoti jalaa day ae Daata
                                            ' Rajan Sachdeva '

अब तो कोई राह दिखा दे ऐ दाता

अब तो कोई राह दिखा दे ऐ दाता
हर मुश्किल आसान बना दे ऐ दाता

अँधियारा फैला है कोने कोने में
अब कोई सूरज चमका दे ऐ दाता

छाए हैं हर तरफ निराशा के बादल
आशा के अब फूल खिला दे ऐ दाता

संकट में है पड़ी हुई कब से दुनिया
राहत की अब सांस दिला दे ऐ दाता

मिलना जुलना हो सबसे पहले जैसा
क़ैद से अब आज़ाद करा दे ऐ दाता

मुश्किल में सब इक दूजे के काम आएं
सबको ऐसा पाठ पढ़ा दे ऐ दाता

फूल जहाँ खिलते हों प्यार मोहब्बत के
ऐसा कोई बाग़ सजा दे ऐ दाता

हम निर्बल हैं शरण तुम्हारी आए हैं
भवसागर से पार करा दे ऐ दाता

भरम वहम सब दिल से मिट जाएं 'राजन '
ज्ञान की ऐसी ज्योति जला दे ऐ दाता
                                           ' राजन सचदेव '

Tuesday, December 28, 2021

हज़ार नाम थे मेरे - मगर मैं सिर्फ एक था

सफ़र हयात का तमाम हिजरतों में बंट गया
वतन ज़मीन ही रही - मैं सरहदों में बंट गया

हज़ार नाम थे मेरे  - मगर मैं सिर्फ एक था
न जाने कब मैं मंदिरों में मस्जिदों में बंट गया

सफ़र के आख़री क़दम पे ये खुला कि घर मेरा
बचा लिया था रहज़नों से - रहबरों में बंट गया

ख़्याल तू है,  ख़्वाब तू - सवाल तू , जवाब तू
मैं तेरी खोज में निकल के रास्तों में बंट गया

मैं लख़्त लख़्त आदमी के दुख समेटता रहा
ख़ुदा जो मस्जिदों में था नमाज़ियों में बंट गया
                                  " फ़रहत शहज़ाद  "

हिजरत    = स्थानान्तरण , अपना घर छोड़ कर दूसरी जगह जा बसना 
रहज़न     =  लुटेरे , जो राह चलते लूट ले 
रहबर      -  रास्ता दिखाने वाले 
लख़्त -लख़्त  -- टुकड़े टुकड़े , टुकड़ों में , एक एक करके 

Hazaar Naam thay meray magar main Ek tha

Safar hayaat ka tamaam - hijraton mein bant gaya
Vatan zameen hee rahee main sarhdon mein bant gaya

Hazaar naam thay meray magar main sirf ek tha
Na jaanay kab main mandiron mein masjidon mein bant gaya

Safar kay aakhri qadam pay ye khula, ki ghar mera
Bacha liya tha rahzanon say - rahbaron mein bant gaya

Khyaal tu hai, khwaab tu - sawaal tu,  jawaab tu
Main teri khoj mein nikal kay raaston mein bant gaya

Main lakht lakht aadmi kay dukh sametataa rahaa
Khuda jo masjidon mein tha namaaziyon mein bant gaya
                                                       " Farhat Shehzad "

Hayaat              = Life
Hijrton mein    =  Migrations, Changing place of residence
Rahzan              = Pirate, Thief, Robber
Rahbar              = Guide
Lakht-lakht      = Piece by piece

Sunday, December 26, 2021

Computers & Humans कंप्यूटरऔर मानव

A computer is almost like a human 

Except -

that it does not blame its mistakes on another computer.


आजकल के कंप्यूटर लगभग मानव के समान ही हैं 
फ़र्क़ सिर्फ इतना है 
कि वह अपनी गलतियों के लिए किसी दूसरे कंप्यूटर को दोष नहीं देते ।

Saturday, December 25, 2021

Happy Holidays to all

It's Christmas.
It's the Holiday season.
In this part of the world where we live - almost everyone decorates their living room with an ornamented Christmas tree and long strings of lights outside the house.
The shopping malls, roads, and streets in residential areas display magnificent, spectacular views during the Holiday season. Some houses are decorated so gorgeously and splendidly that they catch everyone's eyes and become a point of attraction and admiration. They are a delight to look at and often make us wonder how much money and time they must have spent to do all that magnificent work.
Nevertheless, it's a beautiful scene all around.

But, what about the light of consciousness - which is waiting to be lit inside our hearts and minds?
Do we ever think about that?

However, lighting thousands of lights in and outside our houses will not make any difference in our life - unless we illuminate our minds with awakened consciousness.
The Guru has given us the torch - the light of Gyana, and we must keep it lit all the time.
It's our responsibility to see everything clearly in the light of Gyana.

Christmas is not just about exchanging and opening the gift packs - It's about opening our hearts.
So, today, while opening our gift packs, let's think about opening our hearts as well - by getting rid of all kinds of narrowmindedness from our minds.
We must choose our path wisely and responsibly - with awakened consciousness - with a constant awareness of All-pervading, Almighty Nirankar Prabhu all around us.
Happy Holidays to all.
Let's illuminate our lives - inside and outside.
                        ' Rajan Sachdeva '
 


Friday, December 24, 2021

Jisay nibhaa na sako जिसे निभा न सको If you can't deliver

जिसे निभा न सको - ऐसा वादा मत करो
बातें अपनी हद से कभी ज़्यादा मत करो
रखो तमन्ना आसमां को छूने की लेकिन
औरों को गिराने का  इरादा मत करो

Jisay nibhaa na sako aesa vaada mat karo
Baaten apni had say kabhi zyaada mat karo
Rakho tamanna aasman ko chhoonay ki lekin
Auron ko giraanay ka iraada mat karo

Don't promise what you can't keep.
Never brag about what you can not do - 
Never boast about things that are beyond your limitations.
Keep the desire to touch the sky
but don't intend to bring others down.

Thursday, December 23, 2021

कहानी - चार भिक्षुओं की

एक मठ में, चार भिक्षुओं ने दो सप्ताह तक मौन रह कर - बिना कुछ बोले - चुपचाप ध्यान करने का व्रत लिया।
अत्यंत उत्साह के साथ उन्होंने शुरुआत की, और पूरे दिन भर किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
अचानक आधी रात को दीपक टिमटिमाने लगा और बुझ गया।

एक भिक्षु अनायास ही बोल उठा - " ओहो ! दीपक तो बुझ गया।

दूसरा भिक्षु बोला - "अरे भाई ! तुम भूल गए कि हमें मौन रहना है - बोलना नहीं है!"

तीसरे भिक्षु ने क्रोधित स्वर में कहा, "तुम लोग क्या कर रहे हो ?
तुम दोनों ने अपना मौन व्रत तो तोड़ा ही और मेरा ध्यान भी भंग कर दिया ?

चौथे भिक्षु ने मुस्कुराते हुए बड़े गर्व से कहा - "तुम सब के सब तो भूल गए।
तुम सब ने ही व्रत तोड़ दिया ! मैं ही अकेला हूँ जिसने कुछ नहीं कहा और मौन रहा।"
~~~~~ ~~~~~~~~~~~~~

विश्लेषण:
हालांकि सभी भिक्षुओं का मौन टूट गया - लेकिन प्रत्येक भिक्षु के मौन 
व्रत टूटने का कारण अलग अलग था

पहला भिक्षु एक छोटी सी घटना - दीपक के बुझने से विचलित हो गया और अपना लक्ष्य खो बैठा।
वह भूल गया कि बिना प्रतिक्रिया के साक्षी होने का अभ्यास - दीपक के बुझने से अधिक महत्वपूर्ण था।

दूसरे भिक्षु का ध्यान - स्वयं नियमों का पालन करने की बजाए दूसरों से उन नियमों का पालन करवाने में था। 
वह स्वयं को नहीं - बल्कि दूसरों को नियंत्रित रखने का - औरों को कण्ट्रोल में रखने का इच्छुक था। 

तीसरा भिक्षु - उन दोनों भिक्षुओं के प्रति अपने क्रोध को रोक नहीं पाया और अनायास ही बोल उठा।

और चौथे भिक्षु ने अभिमान के कारण अपना लक्ष्य खो दिया।

जब हम किसी भी घटना को बिना किसी आवेग के - 
क्रोध और गर्व के साथ प्रतिक्रिया किए बिना - साक्षी भाव से देखने लगेंगे - 
तब ही जीवन के सही अर्थ को समझने और उसका सही आनंद लेने में समर्थ हो सकेंगे।  
                                                            ' राजन सचदेव '

A story of Four Monks

In a monastery, four monks decided to meditate silently without speaking for two weeks.
They began with enthusiasm, and no one said a word the whole day.
By the nightfall of the first day, the candle began to flicker and then went out.

The first monk blurted out, "Oh, no! The candle is out."

The second monk said, "Hey! We are not supposed to speak!"

The third monk said in an irritated voice, "What is this? 
Why did you two break the silence?"

The fourth monk smiled and said, "Wow! I'm the only one who hasn't spoken."
                             ~~~~~ ~~~~~~~~~ ~~~~~~

Analysis:

All of them broke the vow of silence - but each monk broke it for a different reason.

The first monk got distracted by one small incident and lost his goal - because the candle went out. 
He forgot that the practice of witnessing without reacting was more important than the candle going out. 

The second monk was more concerned and anxious about others following the rules than practicing them himself.

The third monk let his anger towards the first two monks affect him.

The fourth monk lost his way because of pride.

As we learn to truly listen, witness, and observe - without impulsively reacting with judgment, anger, and pride - then we understand the true meaning of life.

Monday, December 20, 2021

Position of the High-minded people विचारशील मनुष्यों की स्थिति

कुसुमस्तवकस्येव द्वयी वृत्तिर्मनस्विनः
मूर्ध्नि वा सर्वलोकस्य शीर्यते वन एव वा

                          (भर्तृहरि नीति शतक)

kusumastavakasyeva dvayee vrittirmanasvinah 
Murdhni va sarvalokasya sheeryatay - van ev va

भावार्थ:
फूलों की तरह ही विचारशील मनुष्यों की स्थिति भी दो प्रकार की होती है 
या तो वे सर्वसाधारण के गले का हार - 
अर्थात उनके प्रतिनिधि या शिरोमणि बनते हैं 
या फिर वन में ही (एकांत में ही) जीवन व्यतीत कर देते हैं।

English Translation:

Just like the flowers, the position of the high-minded is also twofold.
Either to be on the head of the people - like a garland
or wither away in a forest - in isolation.
                              (From Bhratrihari Neeti Shatakam)

To achieve success - सफलता के लिए

To achieve success - 
not only imagination and vision, but 
meaningful work is essential as well.

Just looking at the stairs is not enough
It is also necessary to climb the stairs to go up.

सफलता के लिए सिर्फ कल्पना ही नहीं
सार्थक कर्म भी ज़रुरी  है।

सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नही है
सीढ़ियों पर चढ़ना भी 
ज़रुरी है।

Sunday, December 19, 2021

True Humility

True humility is not thinking less of yourself -
But thinking less About yourself.

Saturday, December 18, 2021

جب آفتاب ڈھلنے لگے

جب آفتاب  
 زندگی کا ڈھلنے لگے 
   وقت -  ہاتھ سےجب
 پھسلنے لگے 
  اُمر بھر سجایا -
 سنوارا  جسے 
اُس تن- بھوں کی نینو جب
 ہلنے لگے 
ہر شہ جب  دھندھلی سی دکھنے لگے
 دانت گرنے لگے - بال پکنے لگے 
سانسوں کا کارواں بھی تھکنے لگے 

 الفاظ - جب زباں پے لدکھدانے لگیں  
 پانو - چلتے ہوئے  ڈگمگانے لگیں   
ہاتھ - اٹھتے ہوے  کمپکمپانے لگیں   

- خوبصورت جسم جب
 ہونے لگے نڈھال 
دل کی دھڑکنیں بھی جب
 ہونےلگیں بیتال 
وقت جب تھمتا ہوا لگنے لگے 
سانس بھی رُک رُک  کے جب چلنے لگے 

فرق سچ اور جھوٹھ کا اُس وقت سمجھ آے- تو کیا 
اپنے کرموں پر اگر اُس وقت پچھتاۓ - تو کیا 
اشک ندامت کے آنکھ میں بھی بھر آے - تو کیا

کیونکہ
 اے میرے ہم دم 
- اُس وقت تو دیر
بہت دیر ہو چکی ہوگی 
 - ذہانت 
سب سازو سامان کھو چکی ہوگی 
زندگی تھک ہار کے تب سو چکی ہوگی 
اصلاح کے سارے امکان کھو چکی ہوگی

بس ابھی کچھ  وقت ہے    
 کچھ سوچنے سمجھنے کا 
کچھ پانے کا - کچھ بننے کا 
کچھ کہنے سننے سہنے کا 
کچھ  کرنے یہ - نہ کرنے کا 
صبر و صدق
اور چین امن سے رہنے کا   
 
بس یہی تو وقت ہے 'راجن 
صرف یہی اک وقت ہے 
خود اپنے آپ سے ملنے کا 
 اور جان کے سچ 
 پھر سچ کی راہ پے چلنے کا 
            'راجن سچدیو '

Jab Aaftaab dhalnay lagay - When the sun starts to go down

Jab Aaftaab Zindgee ka 
dhalnay lagay 
Vaqt - jab haath say 
phisalnay lagay  
Umra bhar sajaayaa 
- sanvaaraa jisay 
us Tan-bhavan ki neemv 
jab hilnay lagay  
Har shai jab dhundhali see dikhnay lagay 
Daant girnay lagay - Baal paknay lagay 
Saanson ka kaarvaan bhi thaknay lagay  

Alfaaz  - 
jab Zubaan pay ladkhadaanay lagain
Paanv - Chaltay huye dagmagaanay lagain  
Haath - Uthtay huye kampkampaanay lagain

khoob-soorat jism jab 
honay lagay nidhaal 
Dil ki dhadkanay bhi jab 
honay lagain betaal 
Vaqt jab thamtaa huaa lagnay lagay   
Saans bhi ruk ruk kay jab chalnay lagay

Farq Such aur jhooth ka -
us vaqt samajh aaye - to kyaa
Apnay karmon par agar 
us vaqt pachhtaaye - to kya 
Ashq nadaamat kay aankh mein bhi bhar aaye 
- to Kya?

Kyonki -
ae meray ham dam  
us vaqt to der - 
Bahut der ho chuki hogi 
Zahaanat  - 
Sab saazo-saamaan kho chuki hogi 
Zindgee thak har kay tab so chuki hogi 
islaah kay saaray imkaan kho chuki hogi 

Bas - abhi kuchh vaqt hai 
Kuchh sochnay - samajhnay kaa 
Kuchh paanay kaa - kuchh bananay kaa 
Kuchh kehnay, sunanay, sehnay kaa
Kuchh karnay - ya na karnay kaa
Sabr-o-sidaq
aur chain aman say rehnay kaa 

Bas -  yahi to vaqt hai 'Rajan'  
Sirf yahee ik vaqt hai 
Khud apnay aap say milnay kaa 
aur Jaan kay Sach -
phir Sach ki raah pay chalnay ka 
                                     ' Rajan Sachdeva '
Aaftaab    =      Sun
Ashk       =  Tears
Nadaamat  =  Repentance 
Ham Dam  = Life-log friend or companion 
Zahaanat  = Intelligence 
Islaah = betterment, improvement, rectification 
Imkaan =  Possibility, chance, opportunity

(islaah kay saaray imakaan kho chuki hogi = utkarsh ke sab avsar kho chuki hogi)

जब आफ़ताब ढलने लगे

जब आफ़ताब - ज़िंदगी का 
ढलने लगे
वक़्त - जब हाथ से  
फिसलने लगे
उम्र भर जिसको  - 
सजाया - संवारा  
उस तन -भवन की नींव 
जब हिलने लगे
हर शै जब धुंधली सी 
दिखने लगे  
दांत गिरने लगे - बाल पकने लगे 
जब सांसों का कारवां भी थकने लगे

अल्फ़ाज़  -
जब ज़ुबां पे लड़खड़ाने लगें 
पाँव - चलते हुए 
 डगमगाने लगें 
हाथ  - उठते हुए  कंपकंपाने लगें 

ख़ूबसूरत जिस्म 
जब होने लगे निढ़ाल
दिल की धड़कनें भी जब होने लगें बेताल
वक़्त जब थमता हुआ लगने लगे
सांस भी रुक रुक के जब चलने लगे

फ़र्क़ सच और झूठ का 
उस वक़्त समझ आए - तो क्या
अपने कर्मों पर अगर 
उस वक़्त पछताए - तो क्या
अश्क़ -
नदामत के आँख में भी भर आए - 
तो क्या ?

क्योंकि  -
ऐ मेरे हमदम  
उस वक़्त तो देर -
बहुत देर हो चुकी होगी
ज़हानत  - 
सब साज़ो-सामान खो चुकी होगी
ज़िंदगी थक -हार के तब सो चुकी होगी 
इस्लाह के सारे इमकान 
खो चुकी होगी

बस  - अभी कुछ वक़्त है 
कुछ सोचने समझने का
कुछ पाने का - कुछ बनने का
कुछ कहने सुनने सहने का
कुछ करने या - न करने का 
सबरो -सिदक़ 
और चैन अमन से रहने का 

बस यही तो वक़्त है  'राजन '
सिर्फ यही इक वक़्त है  -
ख़ुद अपने आप से मिलने का 
और जान के सच - 
फिर सच की राह पे चलने का 
                               ' राजन सचदेव '

आफ़ताब  =  सूर्य , सूरज  Sun 
अल्फ़ाज़   =  शब्द  words 
अश्क़       = आंसू 
नदामत    =  पश्चाताप , ग्लानि, पछतावा , शर्मिंदगी  Repentance 
हमदम     = जीवन साथी, 
जीवन भर साथ देने वाला दोस्त, मित्र,   
                    Life long friend or companion 
ज़हानत    =  बुद्धि , सोच-विचार की शक्ति - योग्यता  Intelligence 
इस्लाह = सुधार, विकास, तरक़्क़ी , 
संशोधन, परिशोधन betterment, improvement, rectification
इमकान = संभावना , मौक़े अवसर , Possibility, Chance, Opportunities
इस्लाह के सारे इमकान खो चुकी होगी = उत्कर्ष के सब अवसर खो चुकी होगी

Friday, December 17, 2021

Who has found 4 perfect days? किसको मिले हैं ? Kis ko milay hain?

मर्ज़ी किसी से वक़्त ने पूछी कहाँ कभी
किसको मिले हैं अपनी तबीयत के चार दिन ?

Marzi kisi say vaqt nay poochhi kahaan kabhi
Kis ko milay hain apni tabeeyat kay char din ?

                                ~~ ~~ ~~

Time never asks anyone what they want - what is their heart's desire.
Is there anyone who has enjoyed four perfect days of his choice?
~~ ~~ ~~

Note:
In Indian culture, 'Four days' is a symbol of the total lifespan of humans.
1. Bachpan = Childhood
2. Jawaani = Youth
3. Adhaid = Mature, Middle age
4. Vridh or Budhaapa = Old age

All Hindi, Punjabi, and Urdu poets of India and Pakistan use this metaphoric expression of four days to represent a whole life.
                                   ' Rajan Sachdeva'

Just Believing does not change Reality

Gyana means to know the Truth - 
To see and accept reality as it is.
It means to understand the Truth and follow it.

It means things should be seen as they are - 
not as we believe them to be.

Gyana does not mean blind faith.
Because just believing does not change reality.
Just calling night as a day does not make it a day - 
the night will remain a night.

On the other hand, if we accept night as night - then there is a possibility that we will try to find a way to bring light. Otherwise, we will keep calling night as day and continue wandering in the dark and stumbling - all night.

Therefore, know the Truth - understand the Truth - 
Believe in Truth and follow the Truth - not the falsehood.

For ages, the saints and sages - Gurus and Holy Scriptures have proclaimed that blind faith can neither bring happiness nor any comfort and peace in our life.
Blind faith can not do any good for personal advancement - nor it can provide any benefit to the world.

An example of 'the churning of water to get butter is found in the ancient Indian scriptures, which were repeated later in Ram Charit Manas and Gurbani as well.
                         Jimi Khagpati Jal Kai Chiknai
                                                (Ram Charit Manas)
(Listen, the king of birds - How can one obtain butter by churning water?)
                             Neer Bilolay Khap Khap Marta
                                                          (Gurbani)
(Churning water (to get butter) one is wasting his time - his life)

No matter how much faith one has, churning water and hoping to get butter is a wastage of time.
However, if you put milk or curd in a vessel and churn it with Faith and Patience, then there is a possibility of getting butter out of it.
But no matter how deep and strong faith is, butter cannot be obtained by churning water.

Sant Amar Singh ji of Patiala used to say:
Strangely, we do all worldly tasks and run our business with proper knowledge - by analyzing and investigating everything thoroughly.
But when it comes to spirituality, we close our eyes - and start thinking and acting with blind faith.

If we eat a hot spicy chili, believing it to be a Laddu or a sugar cube, would it become sweet?
If we make hot spicy chili juice and believe it is sugarcane juice or fruit juice, will it become sugarcane or fruit juice?

We know very well that no matter how strongly we believe it - no matter how deep our faith is, it can never happen.
We may succeed in cheating our taste buds for a while, but in the stomach, it will show its effect as hot chili - and not as the sugarcane or fruit juice.

Baba Avtar Singh Ji Maharaj also used to say:
                                      Gyani hoye so chetan
Meaning after the Gyan - the Gyanis become alert and vigilant - awake, mindful, and more attentive towards the Truth.
They live life thoughtfully - by distinguishing between right and wrong - between true and false - between real and unreal.
They look at everything from the point of view of Gyana - not of blind faith.
                                                         ' Rajan Sachdeva '

Thursday, December 16, 2021

Hamaaray paanv ka kaanta - The thorn in our foot

Na hum-safar, na kisi hum-nasheen say niklega
Hamaaray paanv ka kaanta - hamin say niklega
                                                      (Writer unknown)
=============================
Translation:
Neither by a companion nor by a loved one or wellwisher can it be taken out.
The thorn in our foot* - can only be pulled out - by no one else - but us.
                          ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*The foot here is used as a metaphor for the mind.
By using this analogy of foot and thorn, the writer wants to convey that No one can remove the thorns - the vices or wickedness from our minds by waving a magic wand or something.
We have to remove them ourselves and replace them with good and kind thoughts.

Gurus, teachers, wise and kind people can inspire us, motivate us - they can show us the path - but ultimately, we have to walk on that path ourselves. 

हमारे पाँव का काँटा

           न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
           हमारे पाँव का काँटा - हमीं से निकलेगा
                                                         (अज्ञात)

इस शेर में पाँव शब्द का उपयोग एक रुपक अथवा अलंकार के रुप में किया गया है।
यहाँ शायर ये कहना चाहता है कि कोई दूसरा इंसान -चाहे वो हमारा कितना भी हितैषी क्यों न हो - कोई जादू की छड़ी हिला कर हमारे मन से कांटों अर्थात बुराइयों को दूर नहीं कर सकता।
वो हमें स्वयं ही दूर करनी होंगी 
और उन्हें अच्छे, नेक और शुभ विचारों से बदलना होगा।

गुरुजन, संतजन, नेक और सज्जन लोग एवं शास्त्र हमें प्रेरणा दे सकते हैं - हमें रास्ता दिखा सकते हैं
लेकिन चलना तो हमें स्वयं ही पड़ेगा 

Tuesday, December 14, 2021

Time is like seasons समय मौसम की तरह होता है

Good and bad times are like seasons - 
they both pass.

Not only do they pass - 
they keep repeating like the seasons.

The one who knows this 
does not become overwhelmed, anxious, or perturbed. 

समय मौसम की तरह होता है 
वक़्त अच्छा हो या बुरा - दोनों गुज़र जाते हैं

न केवल गुजर जाते हैं - 
बल्कि ऋतुओं की तरह - 
मौसम की तरह बार बार आते जाते रहते हैं

जो यह जान लेता है, वह व्यग्र - 
बेचैन और व्याकुल नहीं होता।

Monday, December 13, 2021

मासूम था वक्त और मासूम थे चेहरे The times were innocent

मासूम था वक्त और मासूम थे चेहरे
कम  थीं ज़रुरतें और रिश्ते थे गहरे
फिर दौर-ऐ-ज़माना बदलता गया
मुझ में था जो एक मासूम सा बच्चा
पिछड़ता गया  वो सहमता गया
  
Maasom tha vaqt aur maasoom thay chehray
Kam thin zaroorten aur rishtay thay gehray 
Phir daur-e-zamaana badaltaa gayaa 
Mujh me tha jo ek maasoom sa bachaa 
Pichhadta gaya vo sehamtaa gayaa 
                           (Writer unknown)
                  ~~~~~~~~~~~~~~
The times were innocent - 
and people were innocent indeed.
The needs were few - 
and the relationships were deep
Then the times changed
That innocent child, which was within me - 
became frustrated, disheartened, and intimidated 
and could not move forward anymore. 
                                       ' Rajan Sachdeva '

A Beautiful Prayer from the Vedas

Mitrasya ma chakshushaa sarvaani bhootaani sameekshantaam
Mitrasya aham chakshushaa sarvaani bhootaani sameekshay
Mitrasya chakshushaa Sameekshaa mahay
                                               (Yajur Ved 36/18)

Meaning:
May everyone see me as their friend (with love)
May I see everyone as a friend
May all people in the world see each other as friends 
- with love and affection.

वैदिक प्रार्थना - सब प्रेम से रहें

मित्रस्य मा चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्
मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे ॥

                                      (यजुर्वेद ३६/१८)

अर्थात :
सब मुझे मित्रता (प्रेम) की दृष्टि से देखें
मैं सबको मित्रता की दृष्टि से देखूं
हर प्राणी सब को मित्रता एवं प्रेम की दृष्टि से देखे

Saturday, December 11, 2021

We all have the knowledge ज्ञान और शक्ति सबके पास है

We all have the knowledge and ability.
The difference is whether we use it or not.
And how we use it.

ज्ञान और शक्ति सबके पास है 
सोचना ये है कि हम उन्हें इस्तेमाल करते हैं या नहीं 
और अगर करते हैं तो कैसे ?

Bhagavad Geeta - Qualities of a Brahm Gyaani

In the sixteenth chapter of Bhagavad Geeta, Lord Krishna explained the qualities of a Brahm Gyaani in detail as such:

          अभयं सत्त्वसंशुद्धिः ज्ञानयोगव्यवस्थितिः।
           दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।।

          Abhayam Satva-Sanshudhih Gyaanyoga vyavasthitih
          Daanam damashch yagyashch svadhyaayastap aarjavam


Fearlessness, purity of heart, steadfastness in Gyana and Yoga, almsgiving, control of the senses, sacrifice, the study of scriptures, austerity, and straightforwardness.

         अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्
         दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्

       Ahinsaa satyam akrodhastyaagah shaantirapaishunam
      Dayaa bhooteshva aloluptvam maardavam hareerchaapalam


Harmlessness, truth, the absence of anger, renunciation, peacefulness, the absence of crookedness, compassion towards all beings, non-covetousness, gentleness, modesty, the absence of fickleness.

          तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता।
          भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत।।

        Tejah kshamaa dhritih shauchamdroho naatimaanita
        Bhavanti sampadam daiveemabhijaatasya Bhaarat


O Arjuna - Vigour, forgiveness, fortitude, purity, absence of hatred, absence of pride -- these are the treasures that belong to the one born for a divine state, (Brahm-Gyaani)
                                                   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

We should occasionally ask ourselves:
Do we have all these above-mentioned qualities to claim the status of a Brahm-Gyani?
If not, then we should constantly remind ourselves that in order to attain the status of Brahm-Gyani, we must achieve all these qualities first.
                                 ' Rajan Sachdeva  '


Word-by-word meanings:

अभयम् Abhayam Fearlessness
सत्त्वसंशुद्धिः Satva Sanshudhih Purity of heart
ज्ञानयोगव्यवस्थितिः Gyanyogavyavasthitih Steadfastness in Gyana and Yoga
दानम् Daanam Almsgiving
दमः Damah Control of the senses
च Ch And
यज्ञः Yagyah Sacrifice, Discipline
स्वाध्यायः Svadhyaayah Study of Sastras
तपः Tapah Austerity
आर्जवम् Aarjavam Straightforwardness
अहिंसा Ahinsaa Harmlessness
सत्यम् Satyam Truth
अक्रोधः Akrodhah Absence of anger
त्यागः Tyaagah Renunciation
शान्तिः Shaantih Peacefulness
अपैशुनम् Apaishunam Absence of crookedness
दया Dayaa Compassion
भूतेषु Bhuteshu All Beings
अलोलुप्त्वम् Aloluptavam Non-covetousness
मार्दवम् Maardvam Gentleness
ह्रीः Hree Modesty
अचापलम Achaaplam Absence of fickleness
तेजः Tejah Vigour
क्षमा Kshamaa Forgiveness
धृतिः Dhritih Fortitude
शौचम् Shaucham Purity
अद्रोहः Adroha Absence of hatred
नातिमानिता Naatimaanita Absence of over-pride
भवन्ति Bhavanti Belong, are
सम्पदम् Sampadam Property
दैवीम् Daiveem Divine
अभिजातस्य Abhijaatasya To the one born for
भारत Bhaarat Descendant of Bharata (Arjuna)

Friday, December 10, 2021

नास्ति विद्या समं चक्षु

नास्ति विद्या समं चक्षु नास्ति सत्य समं तपः ।
नास्ति राग समं दुःखम् नास्ति त्याग समं सुखम् ॥

                    ~~~~~~~~~~~~

विद्या अर्थात ज्ञान के समान कोई चक्षु नहीं 
और सत्य के बराबर कोई तप नहीं 
राग अर्थात आसक्ति के बराबर कोई दुःख नहीं 
और त्याग के बराबर कोई सुख नहीं है 
                    ~~~~~~~~

त्याग का अर्थ जीवन की सुख-सुविधाओं को त्याग देना नहीं 
बल्कि हर परिस्थिति को खुशी से स्वीकार कर लेना है 

Naasti Vidya samam chakshu - There is no vision like wisdom

Naasti Vidya samam chakshu - Naasti Satya samam Tapah
Naasti Raag samam dukham - Naasti Tyaag samam Sukham


English Translation:

There is no vision like that of knowledge and wisdom.
There is no better austerity than to embrace and harbor the Truth.
There is no sorrow like that caused by love and attachment 
And there is no happiness greater than renunciation.
                               ~~~~~~~~~~~
Renunciation does not mean abandoning the comforts of life - 
it simply means accepting everything happily.
                                              ' Rajan Sachdeva '

Law of nature --- क़ुदरत का उसूल

It's a principle of nature
that whatever you generate - whatever you offer - 
will come back to you
whether it is wealth, respect, or honor - 
hatred or love.

क़ुदरत का एक उसूल है
कि जो दोगे  - जो बांटोगे 
वही तुम्हारे पास लौट कर आएगा 

चाहे वो दौलत हो या इज़्ज़त   -
नफरत हो या मोहब्बत 

Thursday, December 9, 2021

राह देखते हैं रोज़

           राह देखते हैं रोज़ फ़रिश्तों के आने की  
           घर के दरवाजे पे मगर कुत्ता बिठा रखा है 

पश्चिमी परंपराओं में - फरिश्तों अर्थात देवदूतों अथवा स्वर्गदूतों को सफेद चोला पहने हुए दिखाया जाता है - जो कि शांति और आनंद का प्रतीक है।

पूर्वी परंपराओं में कुत्ते को लालच और अत्यधिक इच्छाओं का प्रतीक माना जाता है।

यदि मन रुपी घर अत्यधिक इच्छाओं और लोभ से भरा हुआ है 
तो शांति और आनंद वहां कैसे प्रवेश कर सकता है?
                                                ' राजन सचदेव '

Raah dekhtay hain roz - Waiting eagerly

Raah dekhtay hain roz farishton kay aanay ki
Ghar kay darvaajay pay magar kutta bitha rakha hai

Translation:
Every day, waiting eagerly for the angel of peace to enter.
While keeping a dog at the entrance of the house - guarding the door.
                  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

In western traditions - the angels are dressed in white robes
- a symbol of peace and bliss. 

In eastern traditions, the dog is considered a symbol of greed and excessive desires. 

How can peace and bliss enter the house of mind if it is filled with so many excessive desires and greed? 
                                                'Rajan Sachdeva'

           राह देखते हैं रोज़ फ़रिश्तों के आने की  
           घर के दरवाजे पे मगर कुत्ता बिठा रखा है 

Wednesday, December 8, 2021

Nowhere is seen today आज नहीं दिखती कहीं Aaj nahin dikhti kahin

आज नहीं दिखती कहीं पहले सी प्रीत की रीत
न 
है प्रेम राधा के जैसा - न कृष्ण सा मीत

Aaj nahin dikhti kahin pehlay see preet ki reet
Na hai prem Radha kay jaisa - Na Krishn sa meet 
                                   ~~~~~~~~~~~~~~

Nowhere is seen today true love like before.
Neither devotion like Radha - nor beloved like Krishna.

It's nice to be important महत्वपूर्ण होना अच्छा है

It's nice to be important
but it's more important to be nice

महत्वपूर्ण होना अच्छा है
लेकिन अच्छा होना उससे ज्यादा महत्वपूर्ण  है

Bhagavad Geeta - A brief review by Yuvraj Dr. Karan Singh

An excellent brief review on Bhagavad Geeta in Hindi by
Yuvraj Dr. Karan Singh - a great Karmyogi scholar of Indian philosophies

Please click on the link below and watch the video

https://youtu.be/0PpfAmXJGGI


Tuesday, December 7, 2021

When you talk - जब आप बोलते हैं

When you talk -
you are only repeating what you already know

But if you listen-
you may learn something new

जब आप बोलते हैं -
तो आप केवल वही दोहरा रहे होते हैं जो आप पहले से जानते हैं

लेकिन अगर आप सुनें -
तो कुछ न कुछ नया सीख सकते हैं

Monday, December 6, 2021

What is Moksha?

Sanskrit words Moksha and Mukti simply mean liberation or Freedom.


There are two kinds of Moksha or Mukti.

One is known as Jeevan-Mukti - while living in this world in the physical body.

The other is Moksha after the death of the physical body.


Jeevan-Mukti is Freedom from fear - sorrow, and misery while living in the world.


Moksha after death means free of everything, including the mind - 

which experiences all the emotions such as desires, attachment, expectations, and ego - 

and in turn, these emotions bring sorrow and misery.


                Jeevan-Mukti - Moksha 


According to the ancient Hindu Shastras - the Scriptures, Moksha is not located in some other Loka or planet.

It is a state of mind.

     Mokshasya na hi vaaso-asti na graamantarmeva va

     Agyaan-Hriday-Granthi Naasho Moksha iti Smritah

                                   (Shiv Geeta)

Meaning:

Moksha is not located in some other Loka - another planet - or another plane of existence. 

It does not belong to a particular place - a city, a village, or a house.

The elimination of the veil of Agyaana - ignorance and false knowledge that clouds the mind - 

is known as Moksha.'


In other words, it is a delusion, misconception that we will only achieve Moksha after death - 

That we will be living on a different plane of existence or turn into a different kind of Being.

That we will be free from all sufferings and misery - and be in a state of bliss for eternity.


This thought seems to be influenced by the western concept of Salvation. 

Usually, when interpreting the Sanskrit words Mukti and Moksha in English, we translate them as Salvation. 

However, if we analyze deeply - we will find that the concept of Salvation is very different than of Moksha. 


Salvation seems to be more like being rescued from this mortal world of suffering - And taken to another world called Heaven - where the souls will live in the presence of God - in a state of total bliss till eternity.


However, this concept does not coincide with the ideology of Indian Sanatan holy scriptures. 

Bliss - no matter how beautiful it sounds - is a state of mind after all.

It is the mind and body that feel and experience all emotions. 

And according to our ideology - in the state of Moksha, Atma is free of both - the body and mind. 


Usually, during everyday conversations, we often use some words figuratively. 

Similarly, while defining Moksha, we may sometimes use the words such as bliss, joy, everlasting happiness, etc. Although, it can not be really described by any physical or mental emotions.  

Perhaps, the closest word to define the state of Moksha is Param-Shanti - the everlasting Peace.


Now - Peace by itself is not an emotion - it's is the absence of all emotions. 

Being free of all other emotions is called Param Shanti or Peace.

 (Read more about emotions and Peace at

https://rajansachdev.blogspot.com/2014/12/nav-rasa-nine-emotions.html


Lord Krishna says:

      निर्ममो निरहङ्कार: स शान्तिमधिगच्छति

      Nirmamo NirHankaarah Sa Shantimadhigachhati 

                         (Bhagavad Geeta 2- 71)

Being free of attachment and expectations - by being free of ego - peace is achieved. 


Usually, we are prisoners of our desires, ​​attachments, and expectations - hence we are not liberated.

Moreover, we also become prisoners of certain beliefs and concepts.

It is good to have some beliefs - but it is not good to become their prisoners. 

If we do, then we cannot see beyond the boundaries of those beliefs. Our vision becomes very limited. 

Truth cannot be realized by a closed mind - with a limited vision.

Therefore - we must break all the prisons. 


By eliminating the veil of Agyaana - ignorance and false knowledge or concepts -

By lighting the lamp of Gyana in our hearts and minds -

And thus, achieving the state of enlightenment - free from all delusions and attachments -

is called Moksha. 

                                  ' Rajan Sachdeva '


Note:

The three ancient Indian schools of thought known as Advait, Vishishta Advait, and Dvait - have slightly different views on the Moksha after the death. 

Though the basic ideology is pretty much the same. 

All later religions and sects of India are basically the extensions of one or the mixture of all the above three ideologies. 

What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...