रोशन-मिनार, प्रकाश-स्तम्भ अथवा लाईट हाउस
अर्थात जो दूसरों को अपनी रौशनी - अपने प्रकाश - अपनी लाइट द्वारा रास्ता दिखाए।
रात के अँधेरे में सागर की लहरों में भटकती हुई कश्तीयों को दूर एक रोशन-मिनार यानी लाईट हाउस की चमकती हुई प्रज्वलित ज्योति ही दिशा ज्ञान करवाती है।
लेकिन यदि रोशन-मिनार अथवा लाईट हाउस में प्रज्वलित ज्योति न हो - प्रकाश न हो तो सागर के किनारे पर खड़े हुए महज एक टॉवर, एक मीनार को ही लाईट-हॉउस नहीं कहा जा सकता। यदि उसे लाइट हाउस का नाम दे भी दिया जाए तो भी वो टॉवर लाइट हाउस का काम नहीं कर सकता - किसी भटकी हुई नौका को रास्ता नहीं दिखा सकता।
इसीलिए वेदों ने हमें यह महा-मंत्र दिया:
आत्म दीपो भव:
Become a light house
स्वयं दीप बनो - अपने आप में ज्योति प्रज्वलित करो - अपने लिए भी, और दूसरों को रास्ता दिखाने के लिए भी
लेकिन पहले स्वयं के लिए - फिर दूसरों के लिए
यदि अपने मन में ही ज्ञान का प्रकश नहीं होगा तो किसी और को प्रकाश कैसे दे सकेंगे ?
महात्मा बुद्ध ने भी यही कहा :
अप्प दीपो भव: – अपने जीवन की रोशनी (प्रेरणा) स्वयं बनें
अर्थात अपने मन में ज्ञान की ज्योति जलाएँ
भ्रम से बचें और मन से अंधकार मिटाएँ
प्रकाश होगा तो दिखाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी
प्रज्वलित ज्योति के प्रकाश को देख कर पथिक स्वयं ही उस ओर बढ़े चले आएंगे
इसलिए:
आत्म दीपो भव
Become a light house
' राजन सचदेव '
अर्थात जो दूसरों को अपनी रौशनी - अपने प्रकाश - अपनी लाइट द्वारा रास्ता दिखाए।
रात के अँधेरे में सागर की लहरों में भटकती हुई कश्तीयों को दूर एक रोशन-मिनार यानी लाईट हाउस की चमकती हुई प्रज्वलित ज्योति ही दिशा ज्ञान करवाती है।
लेकिन यदि रोशन-मिनार अथवा लाईट हाउस में प्रज्वलित ज्योति न हो - प्रकाश न हो तो सागर के किनारे पर खड़े हुए महज एक टॉवर, एक मीनार को ही लाईट-हॉउस नहीं कहा जा सकता। यदि उसे लाइट हाउस का नाम दे भी दिया जाए तो भी वो टॉवर लाइट हाउस का काम नहीं कर सकता - किसी भटकी हुई नौका को रास्ता नहीं दिखा सकता।
इसीलिए वेदों ने हमें यह महा-मंत्र दिया:
आत्म दीपो भव:
Become a light house
स्वयं दीप बनो - अपने आप में ज्योति प्रज्वलित करो - अपने लिए भी, और दूसरों को रास्ता दिखाने के लिए भी
लेकिन पहले स्वयं के लिए - फिर दूसरों के लिए
यदि अपने मन में ही ज्ञान का प्रकश नहीं होगा तो किसी और को प्रकाश कैसे दे सकेंगे ?
महात्मा बुद्ध ने भी यही कहा :
अप्प दीपो भव: – अपने जीवन की रोशनी (प्रेरणा) स्वयं बनें
अर्थात अपने मन में ज्ञान की ज्योति जलाएँ
भ्रम से बचें और मन से अंधकार मिटाएँ
प्रकाश होगा तो दिखाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी
प्रज्वलित ज्योति के प्रकाश को देख कर पथिक स्वयं ही उस ओर बढ़े चले आएंगे
इसलिए:
आत्म दीपो भव
Become a light house
' राजन सचदेव '
Very True and inspiring.
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