न वो शौक़ रहे न वो ज़िद रही
न वो वक़्त रहा न वो मैं रहा
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समय के साथ सब कुछ बदल जाता है - और लोग भी।
पुराने शौक़, जुनून और संकल्प हमेशा एक जैसे नहीं रहते।
समय बीतने के साथ, वो जुनून, संकल्प और तीव्र इच्छाएँ फीकी पड़ जाती है या बदल जाती हैं और शांत अनुभव एवं विवेक में बदल जाती हैं।
जो बातें अथवा चीज़ें कभी बहुत महत्वपूर्ण और ज़रुरी लगती थीं - अब महत्वहीन और अनावश्यक लगने लगती हैं।
समय न सिर्फ़ हमारे आस पास के परिवेश को, बल्कि हमारे विचारों, इच्छाओं और यहाँ तक कि हमारी पहचान को भी नया रुप दे देता है।
सच तो यही है कि समय के साथ सब कुछ ही बदल जाता है।
" राजन सचदेव "
wah ji wah, what a wonderful sher you have written.
ReplyDeleteArz kiya hai ji:
Badalte dekha khud ko samay ke saath,
Kisi apne ne aaina dikhaya ek arse ke baad.
बदलते देखा खुद को समय के साथ,
किसी अपने ने आईना दिखाया एक अर्से के बाद।
सादा सी ज़िंदगी थी, दिखावा कोई न था
ReplyDeleteलगते थे सब ही अपने छलावा कोई न था
बदला जो वक्त धीरे-धीरे सब बदल गये
अब पहले जैसा रिश्तों का दावा कोई न था।
🙏🙏
ReplyDeleteHar shonk har hasrat samjhote mein badal gye jab khud ko hamne apno ke liye imandaar paya......
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