निष्ठा धृतिः सत्यम्
निष्ठा का अर्थ है विश्वास और श्रद्धा
धृति अर्थात धारण करना और सत्यम अर्थात सत्य
निष्ठा धृतिः सत्यम् - अर्थात सत्य पर ही निष्ठा रखो।
दूसरे शब्दों में - विश्वास, श्रद्धा एवं निष्ठा केवल सत्य पर ही आधारित होनी चाहिए -
और हमेशा सत्य से ही जुड़ी रहनी चाहिए।
क्योंकि - सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
अर्थात सत्य ही शिव - कल्याणकारी और सुन्दर है।
सत्य ही शिव है - शिव ही सत्य है - और शिव अर्थात सत्य ही सुंदर है।
सत्य क्या है?
"नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः "
(भगवद गीता 2 -16 )
अर्थात जो हमेशा और हर जगह व्यापक नहीं है वो असत्य है।
और जो परिपूर्ण है, सदा विद्यमान है - जो सदा से था और सदा रहेगा - वही सत्य है।
वही शिव - अर्थात हर तरफ फैला हुआ सर्वव्यापक एवं परिपूर्ण निराकार पारब्रह्म है।
इस सर्वव्यापक निराकार ईश्वर को ही शिव कहा जाता है।
और केवल सत्य ही सुंदर और कल्याणकारी है।
इसीलिए शास्त्र कहते हैं कि केवल सत्य को ही अपनी निष्ठा एवं श्रद्धा का आधार बनाईए और हमेशा बनाए रखिए।
" राजन सचदेव "