Monday, October 10, 2016

हमेशा देर कर देता हूँ मैं

ज़रूरी बात कहनी हो 
कोई वादा निभाना हो 
उसे आवाज़ देनी हो 
उसे वापस बुलाना हो 
       हमेशा देर कर देता हूँ मैं 

मदद करनी हो उसकी 
यार की  ढ़ारस  बंधाना हो 
बहुत देरीना रस्तों पर 
किसी से मिलने जाना हो 
       हमेशा देर कर देता हूँ मैं 

बदलते मौसमों की सैर में 
दिल को लगाना हो 
किसी को याद रखना हो 
किसी को भूल जाना हो 
       हमेशा देर कर देता हूँ मैं 

किसी को मौत से पहले 
किसी ग़म से बचाना हो 
हक़ीक़त और थी कुछ 
उसको जा के ये बताना हो 
       हमेशा देर कर देता हूँ मैं 


                "मुनीर न्याज़ी "


1 comment:

  1. So true.. it applies to me all the way !!

    Kind Regards for this reminder ..

    Humbly
    Kumar

    ReplyDelete

Discussion vs Argument चर्चा बनाम बहस

Discussion - is an exchange of    Thoughts & Knowledge            Promote it. Argument - is an exchange of   Ego & Ignorance        ...