Monday, October 20, 2014

शामे ज़िंदगी है, दिल सम्भल ज़रा Shame-Zindagi hai Dil Sambhal zaraa

शामे-ज़िंदगी है दिल सम्भल ज़रा 
रास्ता भी है मुश्किल, संभल ज़रा

दिन तो ढल गया बेकार बातों में
शाम भी न जाए ढ़ल, सम्भल ज़रा

दौड़ते ही कट गई सारी  उमर
बैठने दे अब दो पल, सम्भल ज़रा

सब्र करना भी ज़रा अब  सीख ले
हर समय न यूं मचल, संभल ज़रा 

सामने कितने मसायल हैं मेरे 
सोचने दे एक पल - सम्भल ज़रा

ज़िंदगी के रास्ते मुश्किल सही
ढूंड लेंगे कोई हल - सम्भल ज़रा

इस फ़िकर में आज को न खो देना 
जाने क्या होवेगा कल - सम्भल ज़रा

वक़्त अच्छा भी ज़रुर आएगा   
मुश्किलें जाएँगी टल - सम्भल ज़रा

पास हो के भी 'ये' शायद  दूर  है
साथ इसको ले के चल - सम्भल ज़रा

राहे-हक़ तो चुन लिया 'राजन' मगर 
पाँव ना जाए फिसल - सम्भल ज़रा 

​        ('राजन सचदेव ' Oct 20, 2014)​


    Roman Script

Shame-Zindagi hai - Dil Sambhal zaraa
Raasta bhi hai mushkil - Sambal zaraa 

Din to dhal gayaa bekaar baaton me
Shaam bhi na jaaye dhal - Sambhal zaraa

Daudatay hi kat gayi saari umar

Baithnay de ab do pal - Sambhal zaraa

Sabar  karna bhi  zaraa ab seekh lay
Har samay na yoon machal - Sambhal zaraa

Saamnay kitanay Masaayel hain meray
Sochanay day ek pal - Sambhal zaraa

Zindagi kay Raastay mushkil sahi
Dhoond lengay koi hal 
- Sambhal zaraa

Is fiqar me aaj ko na kho lenaa
Jaanay kya hovega kal - Sambhal zaraa

Vaqt achhaa bhi zaroor aayega
Mushkilen jayengi Tal - Sambhal zaraa

Paas ho ke bhi 'Ye' shaayad door hai
Saath isko lay kay chal - Sambhal zaraa

Raahe-Haq to chun liyaa 'Rajan' magar 
Paanv naa jaayen phisal - Sambhal zaraa
            'Rajan Sachdeva'  October 20, 2014

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