हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत की प्रसिद्ध गायिका
- श्रीमती किशोरी अमोनकर -
यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है।
यह संसार काँट की बाड़ी, उलझ-पुलझ मरि जाना है।
यह संसार झाड़ औ झाँखर, आग लगे बरि जाना है।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है॥
|| सत्गुरु कबीर जी ||
यह देश बिगाना है - ये संसार पराया है - हमेशा रहने के लिए नहीं है।
यह संसार एक कागज की पुड़िया की तरह है - जो पानी की एक बूंद से गल जाती है।
यह संसार काँटों की झाड़ी के समान है - जिसमें लोग उलझ उलझ कर दुखी होते रहते हैं - मर जाते हैं।
यह संसार एक झाड़ी के समान है - जो आग लगने पर जल जाती है - भस्म हो जाती है।
कबीर जी कहते हैं - सुनो मेरे भाइयों, सतगुरु का दिया हुआ नाम अथवा ज्ञान ही अंतिम ठिकाना है।
इसलिए इसे हृदय में - मन और बुद्धि में संभाल कर रखो और जीवन में धारण करो।
Very beautiful inspiring shabad ji.🙏
ReplyDeleteHeart piercing voice, meaningful voice and beautiful person singing...enjoyed every thing about this post. ..thank you Rajan ji. May you live long.
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