विज्ञान देता है हमें बाह्य जगत के तथ्य
अध्यात्म से मिलता है अन्तर्जगत का सत्य
दोनों में कोई विरोधाभास नहीं है
अध्यात्म - विज्ञान से प्रवास नहीं है
अध्यात्म से मिलता है अन्तर्जगत का सत्य
दोनों में कोई विरोधाभास नहीं है
अध्यात्म - विज्ञान से प्रवास नहीं है
एक बहिर्गामी है - दूजा अंतर्मुखी
दोनों के ही ज्ञान से होगा जीवन सुखी
दोनों का अपना स्थान - अपना महत्व है
दोनों का हो ज्ञान तभी जीवन परिपक्व है
तर्क और विज्ञान पर न हो यदि विश्वास
अध्यात्म रह जाएगा फिर केवल अंधविश्वास
ज्ञान और विज्ञान - दोनों ही का हो सम्मान
तब ही हो पाएगा 'राजन' जीवन का उत्थान
" राजन सचदेव "
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भावार्थ:
विज्ञान हमें बाहरी जगत के बारे में बताता है - प्रकृति के तथ्य समझाता है
और अध्यात्म हमें स्वयं का ज्ञान - अंतर्मन का सत्य प्रदान करता है।
आंतरिक जगत का सत्य तो केवल अध्यात्म से ही प्राप्त हो सकता है।
और इन दोनों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है।
अध्यात्म का अर्थ विज्ञान से पलायन नहीं है -
अध्यात्म का अर्थ विज्ञान को अस्वीकार करना और उससे दूर जाना नहीं है।
एक बहिर्गामी है - बाहरी जगत अर्थात प्रकृति का अध्ययन करता है -
अध्यात्म का अर्थ विज्ञान से पलायन नहीं है -
अध्यात्म का अर्थ विज्ञान को अस्वीकार करना और उससे दूर जाना नहीं है।
एक बहिर्गामी है - बाहरी जगत अर्थात प्रकृति का अध्ययन करता है -
उसे समझने की कोशिश करता है
और दूसरा अंतर्मुखी - अंतर्जगत को - अंतर्मन को जानने और समझने का प्रयत्न है।
दोनों के ज्ञान से ही जीवन सुखी और प्रफुल्लित हो सकेगा।
दोनों का अपना अपना स्थान है - अपना अपना महत्व है।
किसी को भी नकारा नहीं जा सकता।
दोनों का ज्ञान होने पर ही जीवन परिपक्व एवं परिपूर्ण बन सकता है।
यदि तर्क और विज्ञान पर विश्वास न हो - तर्क और प्रमाण से काम न लिया जाए
तो अध्यात्म केवल अंधविश्वास बन कर रह जाएगा।
इसलिए आत्मज्ञान और विज्ञान - दोनों का ही समान रुप से सम्मान किया जाना चाहिए
तभी जीवन का उत्थान संभव है - अन्यथा नहीं।
और दूसरा अंतर्मुखी - अंतर्जगत को - अंतर्मन को जानने और समझने का प्रयत्न है।
दोनों के ज्ञान से ही जीवन सुखी और प्रफुल्लित हो सकेगा।
दोनों का अपना अपना स्थान है - अपना अपना महत्व है।
किसी को भी नकारा नहीं जा सकता।
दोनों का ज्ञान होने पर ही जीवन परिपक्व एवं परिपूर्ण बन सकता है।
यदि तर्क और विज्ञान पर विश्वास न हो - तर्क और प्रमाण से काम न लिया जाए
तो अध्यात्म केवल अंधविश्वास बन कर रह जाएगा।
इसलिए आत्मज्ञान और विज्ञान - दोनों का ही समान रुप से सम्मान किया जाना चाहिए
तभी जीवन का उत्थान संभव है - अन्यथा नहीं।
🥀💕🙏🏻
ReplyDeleteThanks uncle ji for sharing your valuable knowledge!
ReplyDelete🙏Very beautiful knowledgeable advice ji. 🙏
ReplyDeleteVery well explained Rajan Ji. Science and spirituality complement each other. It’s like that iPhones can not grow on trees and science can’t put life back into a dead ant!
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