क: काल: कानि मित्राणि को देश: को व्ययागमौ |
कस्याहं का च मे शक्ति: इति चिन्त्यं मुहुर्मुहु: ||
|| चाणक्य ||
भावार्थ:कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले - या कार्रवाई करने से पहले इन प्रश्नों पर हमेशा विचार कर लेना चाहिए।
कि हालात कैसे हैं - आसपास की स्थिति कैसी है - अनुकूल है या नहीं?
हमारे मित्र कौन हैं? कितने हैं ?
क्या ज़रुरत पड़ने पर वो हमारी मदद करने और समर्थन के लिए आगे आएंगे?
देश में हालात कैसे हैं ? (कानून और व्यवस्था की स्थिति - नियम और प्रतिबंध इत्यादि की जानकारी)
पक्ष और विपक्ष में क्या है?
अपने पास क्या संसाधन हैं - कौन कौन से साधन हैं और क्या नहीं हैं?
मैं कौन हूँ? मेरी शक्ति - मेरी सामर्थ्य क्या है?
कोई भी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कदम उठाने से पहले इस सब बातों पर अवश्य ही विचार करना चाहिए।
अर्थात किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए, हमें अपनी क्षमता के साथ-साथ प्रतिद्वंद्वी की शक्ति का भी सही मूल्यांकन कर लेना चाहिए।
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