Thursday, July 7, 2022

भज गोविंदम - परिचय

भज गोविंदम संस्कृत भाषा की एक सुंदर काव्य रचना है - जिसे 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने लिखा था।
इसे मोह-मुदगर के नाम से भी जाना जाता है - जिसका अर्थ है 'भ्रम विनाशक'।

मोह का अर्थ है भ्रम, और मुदगर का अर्थ है एक बड़ा हथौड़ा या गदा - जिसका उपयोग किसानों द्वारा एक उपकरण के रुप में और प्राचीन योद्धाओं द्वारा एक हथियार के रुप में किया जाता था। रामायण में हनुमान - और महाभारत में भीम का शस्त्र भी मुदगर ही था, जिसे गदा भी कहा जाता है।
आज भी इसका उपयोग सड़कों को समतल करने या पुरानी इमारतों को तोड़ने के लिए किया जाता है।

मोह-मुदगर इस बात का प्रतीक है कि ज्ञान रुपी हथौड़े से मोह को नष्ट किया जा सकता है। 

लेकिन ज्ञान केवल बौद्धिक एवं सैद्धांतिक भी हो सकता है 
- सिर्फ अकादमिक या दिमाग़ी और किताबी ज्ञान - जो केवल पढ़ने-पढ़ाने और सुनने -सुनाने तक ही सीमित रह जाता है।
धीरे धीरे गहन विश्लेषण और चिंतन से ज्ञान विवेक में बदल जाता है।
उपयोगी एवं व्यवहारिक ज्ञान - जो बौद्धिक, मानसिक, और संसारिक जीवन में प्रगति का साधन बन जाए उसे विज्ञान कहा जाता है। 
मानसिक और आध्यात्मिक जीवन में प्रगति के लिए ज्ञान और विज्ञान को अपनाने और उसे जीवन में ढालने की असीम लगन और प्रक्रिया भक्ति कहलाती है।
भक्ति का अर्थ है ज्ञान को जीवन में  ढ़ालना - उस पर अमल करना। 
 ज्ञान, भक्ति और उपयुक्त कर्म हमें जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष की ओर ले जाते हैं - 
आदि शंकराचार्य उपरोक्त तीनों घटकों की बात करते हैं।

इस रचना में कुल 31 श्लोक हैं - और कुछ विद्वानों के अनुसार 33 श्लोक हैं। 
ऐसा माना जाता है कि इस रचना के सभी श्लोक श्री शंकराचार्य ने स्वयं नहीं लिखे थे।
कुछ श्लोक शंकराचार्य के कुछ शिष्यों द्वारा लिखे गए हैं।

संस्कृत, हिंदी, पंजाबी एवं अन्य प्रादेशिक भाषाओँ की सभी काव्य रचनाएँ (नई, मुक्त-शैली की कविता को छोड़कर) - किसी न किसी निर्धारित मीटर में बंधी होती हैं जिन्हें छंद कहा जाता है। उर्दू शायरी में इन्हें बहर कहा जाता है। 
पहले श्लोक को छोड़कर, भज गोविंदम के सभी छंद 16 मात्रा के मीटर में बंधे हैं।

यह सुंदर और मनोरम रचना जहां संस्कृत भाषा की सुंदरता को बड़ी खूबसूरती से उजागर करती है - वहीं भारतीय अध्यात्म की गहन विचारधारा को भी इस तरह से संप्रेषित करती है जो पढ़ने और सुनने वालों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है।
                                                  " राजन सचदेव "

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When the mind is clear

When the mind is clear, there are no questions. But ... When the mind is troubled, there are no answers.  When the mind is clear, questions ...