पलकें उठा कर झुकाया न करो
बात को युंही तुम उलझाया न करो
ज़ख्म बन जाते हैं नसूर की सूरत
दर्द जरा सा भी हो छुपाया न करो
उलझा देंगी दस्त-शिनासों की बातें
अपना हाथ किसी को दिखाया न करो
कुछ रोज़ तो याद रखो एहसान किसी का
इतनी जल्दी किसी को भूल जाया न करो
चढ़े दरिया ख़ुद उतर जाते हैं 'अंजुम '
ज़रा सी तुग़यानी देख कर घबराया न करो
'अंजुम '
दस्त-शिनास = हाथ देखने वाला ज्योतिषी
तुग़यानी = बाढ़, समंदरी तूफ़ान।
just superb . 🙇♀️
ReplyDeleteExcellent
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