पहले तो एक प्रेरणादायक शिक्षक का मिलना ही कठिन होता है
और अगर मिल जाए तो उनसे अलग होना और भी कठिन है -
और उन्हें भुला पाना तो असंभव है।
क्योंकि शिक्षक अपने विद्यार्थियों पर सीधा प्रभाव डालते हैं।
शिक्षक व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का चरित्र निर्माण करते हैं।
शिक्षक वह दीपक है, जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है।
वे विद्यार्थियों को शिक्षित करने, शिक्षा के लिए प्रेरित करने और हमेशा उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
वैसे तो विद्यालय के पहले दिन से लेकर शिक्षण के अंत तक हम अनेक शिक्षकों से पढ़ते और सीखते हैं।
परंतु कुछ शिक्षक ही ऐसे होते हैं जो जीवनभर हमारी स्मृतियों में बने रहते हैं।
क्योंकि वे हमारी प्रगति में व्यक्तिगत रुचि और जिम्मेदारी निभाते हैं।
वे अपने विद्यार्थियों का हाथ थामते हैं, उनका मस्तिष्क खोलते हैं और उनके हृदय को छूते हैं।
ऐसे हृदयस्पर्शी शिक्षक सदा के लिए विद्यार्थियों के आदर्श बन जाते हैं।
इसी कारण, प्राचीन भारतीय परंपराओं में शिक्षक अथवा गुरु को समाज द्वारा सर्वोच्च सम्मान और आदर प्रदान किया गया है।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
(गुरु गीता)
गुरु ईसर, गुरु गोरख ब्रह्मा, गुरु पारबती माई
(जपुजी साहिब)
भारतीय सनातन संस्कृति में माता, पिता और गुरु को देवी एवं देवता का स्थान दिया गया है।
" मातृदेवो भव - पितृदेवो भव - गुरुर्देवो भव "
महान गुरु और श्रेष्ठ शिक्षक केवल पढ़ाते ही नहीं हैं - वे अपने शिष्यों और विद्यार्थियों के मन में ज्ञान के ऐसे बीज बोते हैं जो जीवनभर बने रहते हैं - और पनपते रहते हैं।
वे हर कदम पर शिष्यों का मार्गदर्शन और सहयोग करते हैं, ताकि वे विषय को पूर्ण रुप से समझ सकें और ऐसी ऊँचाइयों तक पहुँच सकें जिसकी आकाश ही सीमा है।
एक महान शिक्षक - एक महान गुरु का मिलना सौभाग्य की बात है
ऐसा गुरु जो आपके जीवन के हर चरण पर स्वयं व्यक्तिगत रुप से आपका मार्गदर्शन करे -
आपके हर प्रश्न का उत्तर दे और आपके सभी संदेहों को दूर करे।
एक कुशल और अनुभवी शिक्षक अथवा गुरु कभी भी यह नहीं कहेगा कि प्रश्न पूछना बंद करो, चुप रहो या बिना किसी संदेह और उज्र के उनकी हर बात को मान लो। अच्छे शिक्षक हमेशा आपको तब तक प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जब तक कि आप पूरी तरह संतुष्ट न हो जाएँ।
क्योंकि सच्चे ज्ञानी शिक्षक और गुरु केवल रटा रटाया ज्ञान नहीं देते बल्कि आपको स्वयं सोचने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे आपको ज्ञान चक्षु खोल कर अपने मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं।
महान गुरु और अच्छे शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अपने जैसा ही ज्ञानवान बनने - बल्कि अपने से भी श्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
सच्चे गुरु या शिक्षक अपने विद्यार्थियों से कभी ईर्ष्या नहीं करते।
बल्कि यदि कोई विद्यार्थी उनसे आगे भी बढ़ जाएँ तो वे उन पर गर्व ही करते हैं।
यजुर्वेद का एक मंत्र - जो तैत्तिरीय, माण्डूक्य और श्वेताश्वतर उपनिषदों में भी मिलता है - एक प्रार्थना के रुप में गुरु और शिष्य के बीच सुंदर संबंध का वर्णन करता है।
**ॐ सह नाववतु - सह नौ भुनक्तु - सह वीर्यं करवावहै
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः**
अर्थ:
हे परमब्रह्म! हमें (गुरु और शिष्य दोनों को) साथ-साथ सुरक्षित रखें;
हम दोनों का साथ-साथ पोषण करें;
हम साथ मिलकर साहस एवं पराक्रम के साथ हर कार्य करें;
हमारा ज्ञान एवं सोच उज्ज्वल और फलदायी हो।
हम दोनों - गुरु और शिष्य कभी एक-दूसरे से ईर्ष्या न करें।
पूरी दुनिया में लाखों लोग इस दिन को अलग-अलग तरीकों से मनाकर शिक्षकों का सम्मान करते हैं।
किन्तु उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि हम उनके ज्ञान और उपदेशों को सीखें, समझें और अपने जीवन में आत्मसात करें।
और शिक्षकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे विद्यार्थियों को हमेशा सीखते ही रहने के लिए प्रेरित करें - आगे से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
मेरे सौभाग्य है कि मुझे जीवन में कुछ ऐसे महान शिक्षक और गुरु मिले, जिन्होंने न केवल मेरे सामाजिक और पेशेवर जीवन में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मेरा मार्गदर्शन किया।
उन्होंने मेरे दृष्टिकोण को विस्तृत किया, संकीर्ण मानसिकता की दीवारें तोड़ीं, सीमित सोच से बाहर निकलने में मदद की, और मुझे उदार, विशाल दृष्टिकोण रखने और सार्वभौमिक रुप से सोचने के लिए प्रेरित किया।
मेरे उन सभी शिक्षकों और गुरुओं को मेरा नमन और आभार, जिन्होंने मुझे आज जो कुछ भी मैं हूँ - वह बनने में मेरी सहायता की।
आइए - हम उन सभी शिक्षकों और गुरुओं के योगदान की सराहना करें - उनके प्रति कृतज्ञता का भाव समर्पित करें जो हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं।
" एक अच्छे शिक्षक का प्रभाव कभी मिटाया नहीं जा सकता "
राजन सचदेव
Gurur devo bhavh🙏
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