Wednesday, August 27, 2025

शुभ गणेश चतुर्थी एवं भगवान गणेश का प्रतीकात्मक स्वरुप

भगवान गणेश को आदि देव, शुभ-लाभ के देवता और विघ्नहर्ता माना जाता है।
पश्चिमी जगत में उन्हें अज्ञानवश “Elephant God” कह दिया जाता है और एक अजीब-सा हास्यास्पद प्रतीक समझ कर मज़ाक़ भी किया जाता है। 
परंतु वास्तविकता में देवताओं की मूर्तियाँ जैसी दिखाई देती हैं, शाब्दिक एवं वास्तविक अर्थ में वैसी नहीं होतीं।  उनके अंग-प्रत्यंग, रंग, चिह्न और आसपास रखी वस्तुएँ गहरे प्रतीकात्मक अर्थ रखती हैं।
यदि हम इन प्रतीकों को ध्यान से देखें और विचारात्मक दृष्टि से समझने का प्रयास करें  तो इन विचित्र-सी लगने वाली छवियों के भीतर छिपा आध्यात्मिक और व्यावहारिक संदेश स्पष्ट हो जाता है।
                  गणेश का अर्थ है: 
गणेश (गण + ईश) → लोगों का - जनता अथवा प्रजा का ईश्वर 
गणपति (गण + पति) → जनता अथवा प्रजा का नेता

अन्य हिन्दू देवताओं की तरह गणेशजी की प्रतिमा भी दो स्तरों पर संदेश देती है—
समाज और जगत में नेतृत्व के गुण।
आध्यात्मिक साधना और मोक्ष की राह के संकेत।

                          भौतिक जगत में गणपति के प्रतीक का अर्थ 
गणपति को महान नेता और रक्षक का प्रतीक माना गया है—जो समाज की रक्षा करते हैं, विघ्न दूर करते हैं और शक्ति तथा करुणा से नेतृत्व करते हैं।
हाथी का सिर → शक्ति, आत्मविश्वास और संरक्षण।
विशाल सिर → बुद्धि और अनोखी सोचने की क्षमता। 
छोटा मुख और बड़े कान → कम बोलना, अधिक सुनना। 
छोटी आँखें → अनुयायियों की कमियाँ अनदेखी करके मार्गदर्शन करना।
एक दाँत (एकदंत) → केवल लोक-कल्याण हेतु कार्य करना। 
बड़ा पेट → रहस्य को अपने भीतर रखना, आलोचना-सम्मान दोनों को शांत भाव से सहना।
लचीली सूँड  - परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालने और दूरदर्शिता से संसाधन जुटाने की क्षमता 
चार हाथ – नेतृत्व के साधन - अधिक काम करने की क्षमता 
रस्सी → समाज को दुःख-दरिद्रता से ऊपर उठाना।
परशु (कुल्हाड़ी) → बुराइयों और कुप्रथाओं का नाश।
मोदक (मिठाई) → कर्मफल और सुखद परिणाम देने का वचन।
आशीर्वाद मुद्रा → सुरक्षा और संरक्षण का आश्वासन।
मूषक (चूहा) वाहन - चूहा लालच और चोरी का प्रतीक है। गणपति उसे अपने चरणों में दबाकर यह दर्शाते हैं कि सच्चा नेता ऐसे स्वभावों को नियंत्रित रखता है।

                       आत्मिक साधना में गणेश का प्रतीक
आध्यात्मिक दृष्टि से गणेश मन का प्रतीक हैं—जो इन्द्रियों का स्वामी है। 
उनके स्वरुप का प्रत्येक अंग साधकों को गहरा संदेश देता है।
विशाल सिर -  ज्ञान और गहन विचार-शक्ति।
छोटा मुख और बड़े कान  - मौन (मौन साधना) और श्रवण (सत्य को ध्यान से सुनना)।
छोटी आँखें -  एकाग्रता और लक्ष्य पर ध्यान। 
एकदंत -  सकारात्मक को ग्रहण करना, नकारात्मकता को त्यागना।
विशालकाय पेट → सुख-दुःख दोनों को समान भाव से सहन करने की शक्ति।
चार हाथ – साधना के साधन - सांसारिक तथा आध्यात्मिक दोनों में कार्यरत रहने की क्षमता।
रस्सी - स्वयं को नकारात्मकता से ऊपर खींचना, मुक्ति की ओर बढ़ना।
परशु (कुल्हाड़ी) - अस्थायी भौतिक वस्तुओं से मोह तोड़ना।
मोदक (लड्डू)  -  जीवन की मिठास और सकारात्मकता को सँजोना।
आशीर्वाद मुद्रा -  निर्भयता (अभय) और आत्मविश्वास।
चरणों के नीचे मूषक (चूहा) - चूहा लोभ और संग्रह की प्रवृत्ति का प्रतीक है। ज्ञानी मन इन प्रवृत्तियों को वश में रखकर सादगी और ईमानदारी से जीवन जीता है।
                                            गहन संदेश 
गणेश जी की प्रतिमा अथवा चित्र को वास्तविक रुप से नहीं, बल्कि प्रतीक के रुप में देखना चाहिए। यदि सही और निष्पक्ष भाव से इन्हें देखें तो इन प्रतीकों से हमें सही नेतृत्व के गुण और आत्मिक प्रगति के साधन - दोनों ही मिलते हैं।
पुरातन शास्त्रों, परंपराओं और रीति-रिवाजों के भीतर छिपे सत्य को समझें और उनका सार ग्रहण करें—न तो अंधानुकरण करें और न ही उनका उपहास उड़ाएँ।
                                     " राजन सचदेव "


4 comments:

  1. WAH KYA BAT HAI APJI KEE VIDVTA KEE ..KYA VYKHYA KEE HAI EK EK ANG KEE ..VAKYA MAHAN VIDVAN HO

    ReplyDelete
  2. Bahut hee Uttam shikhsha .🙏

    ReplyDelete
  3. Beautiful explanation 🌺🌼🏵️🌸

    ReplyDelete
  4. प्रोफेसर राजन जी, बहुत बहुत शुक्रिया, ये तो समझ आता था कि गणेश जी का ये रूप प्रतिकात्मक है, वास्तविक नहीं। किंतु इसको जिन शब्दों में आपने अभिव्यक्त किया है, वो लाजवाब है।
    Thank you once again 🙏

    ReplyDelete

Happy Ganesha Chaturthi & Symbolism of Lord Ganesha

 Lord Ganesh, also known as Ganapati is one of the most well-known Hindu deities. Lord Ganesha is revered as the Lord of Beginnings and Good...