लोग ज़रुरत से ज़्यादा होश्यार क्यों हैं
मुँह पे तो सभी दोस्त हैं लेकिन
पीठ पीछे दुश्मन हज़ार क्यों हैं
हर चेहरे पे इक मुखौटा है यारो
लोग ज़हर में डूबे किरदार क्यों हैं
सब काट रहे हैं यहाँ इक दूजे को
लोग सभी दोधारी तलवार क्यों हैं
सब को सब की हर इक खबर चाहिए
लोग चलते फिरते अखबार क्यों हैं
" लेखक अज्ञात " (Unknown)
Reality of most of the people.
ReplyDeleteBeautiful lines
ReplyDelete👌👌👌🙏
ReplyDelete👌👏👏🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteDaatri nu ik paase dande duniyaa nu do passe.
ReplyDeleteDaatri that cuts the wood