Friday, September 28, 2018

गुज़रे ये ज़िंदगानी - तेरी याद करते करते

गुज़रे  ये  ज़िंदगानी - तेरी  याद  करते  करते 
हर स्वास में हो सुमिरन तू ही -तू ही कहते कहते 

तेरी याद से ही मेरे हर दिन की इब्तिदा हो 
हर शाम मेरी गुज़रे तेरा ध्यान धरते धरते  

तेरी याद जो भुला दे - वो ख़ुशी मुझे  न  देना 
ख़ुशियाँ भी हों मुबारक़ शुकराना करते करते

करना रहम कि गुज़रे हर लम्हा ज़िंदगी का
सबरो-शुकर से दिल को आबाद करते करते 

वो भी गए जहां से दो गज़ कफ़न में लिपटे 
जो रहे तिजोरियां ही सारी उमर भरते भरते     

बेख़ौफ़ हो के जीने में  मज़ा है  ज़िंदगी का 
क्या कियाअगरचे जीए बे-वजह ही डरते डरते

'राजन ' की इल्तिजा है ऐ मेरे साहिबे -जाना 
रहे तेरा ही तसव्वुर मेरे दिल में मरते मरते 

        "राजन सचदेव "  (जम्मू 1978)

तर्ज़ :   कटते हैं दुःख में ये दिन पहलू बदल बदल के 

इब्तिदा                  शुरुआत    Beginning
तिजोरियां               Safe-box
बेख़ौफ़                  अभय    Without any Fear
इल्तिजा                 प्रार्थना, विनती,  Request 
तसव्वुर                 ख़्याल, विचार    Thoughts         

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It seems some people are constantly looking for faults in others—especially in a person or a specific group of people—and take immense pleas...