Saturday, August 4, 2018

समाधी पर फूलों की चादर

शमशान में  एक समाधी पर अपना बस्ता फैंक कर एक बच्चा समाधी के पास बैठ कर शिकायत करने लगा। 
उठो ना पापा - टीचर ने कहा है कि अपने पापा को बोलो कल फ़ीस लेकर आएं नहीं तो  कल से स्कूल मत आना !!
बराबर की समाधी पर, एक सज्जन फ़ोन पर किसी फूलवाले से पांच हज़ार रुपयों की फूलों की एक चादर बनाने 
के लिए बात कर रहे थे।  
बच्चे की ये बात सुनकर वो कुछ सोच में पड़ गए और फ़ोन पर फूलवाले से बोले कि ये ऑर्डर कैंसल कर दो। 
फूल वाले ने पूछा क्यों ? 
अब नहीं चाहिए भाई। फूल इधर ही मिल गए हैं।
इतना कह कर उन्होंने फोन बंद कर दिया और वो पैसे बच्चे के हाथ में रख कर बोले :
बेटा लो - ये पैसे तुम्हारे पापा ने भेजे हैं। कल स्कूल जाना और अपनी फ़ीस जमा करवा देना। 

श्मशान से वापिस जाते हुए वह सज्जन सोच रहे थे -
कि अगर वो पांच हज़ार रूपये के फूलों की चादर बनवा कर वहां बिछवा देते, तो वो फूल दो दिन में मुरझा कर सड़ जाते 
लेकिन अब वही रूपये किसी की ज़िंदगी संवारने में मदद करेंगे। 
इस से बढ़ कर सच्ची श्रद्धांजलि और क्या होगी ? 

4 comments:

  1. 🙏🙏💐💐🙏🙏 I don’t have words to describe the greatness of this example. May God give this wisdom to all.

    ReplyDelete
  2. Very high and pure thinking

    ReplyDelete

फ़ासला यारो है बस इक सांस का The distance is just a single breath

इस जहां और उस जहां के दरमियां - फ़ासला यारो है बस इक सांस का  ये अगर चलती रहे तो ये जहां ---- और अगर रुक जाए तो फिर वो जहां  Is jahaan aur us...