Monday, May 19, 2025

कोई 'अति' अच्छी नहीं - न भला है ज़्यादा बरसना

न भला है ज़्यादा बरसना न भली है ज़्यादा धुप 
न भला है ज़्यादा बोलना, न भली है अति की चुप

अधिक प्यार से बच्चे बिगड़ें अति आलस से स्वास्थ
रिश्ते-नाते - यारी टूटे बढ़ जाए जब स्वार्थ 

अति लोभ व्योपार बिगाड़े - क्रोध बिगाड़े चैन
अति चिंता से शांति न पावे मनुवा दिन और रैन 

अति चालाकी खो देती है लोगों का विश्वास
दुविधा में मन पड़ा रहे तो खो जाती है आस 

अति किसी भी चीज़ की दुःख ही देती है 'राजन '
संतुलित रह के ही जीवन बन सकता है पावन 
                           " राजन सचदेव "

अति     =  अधिकता, अधिक मात्रा में - बहुत ज़्यादा, फालतू , आवश्यकता से अधिक, ज़रुरत से ज़्यादा

अति सर्वत्र हानिप्रद: - किसी भी चीज़ की अति अर्थात आवश्यकता से अधिकता हानिकारक हो सकती है 

11 comments:

  1. Waah Jì 👏🙏

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  2. Ji. Definitely, excess of anything is bad.🙏

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  3. इसलिए, "अति सर्वत्र वर्जयेत्" हमें सिखाता है कि हर चीज में संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, और किसी भी चीज की अति से बचना चाहिए।
    सतीश भागवत

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  4. Itti bhali kaahu ki naahi🙏

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  5. Bahut hee sunder

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  6. Beautiful guruji! ❤️🙏🏼✨

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  7. You are right excess of everything is bad🙏🙏

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