Thursday, April 28, 2022

कौन हूँ मैं ? क्या हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं ? क्या हूँ मैं ? ये सोच के हैरान हूँ
ख़ाक़ का पुतला हूँ मैं या रुह -जाविदान हूँ ?

किस लिए आया हूँ जग में क्या मेरा किरदार है ?
मसला हूँ या हल हूँ मैं ? या कोई इम्तेहान हूँ ?

गीत हूँ ? कविता हूँ मैं या बेमानी अशआर हूँ ?
मत्ला हूँ ? या मक़्ता हूँ या सिर्फ इक उन्वान हूँ ?

देखता है हर कोई अपने नज़रिये से मुझे
क्या किसी के दिल में है इस राज़ से अनजान हूँ

मांगते हैं मशवरा दाना समझ के कुछ मुझे
कुछ समझते हैं महज तफ़रीह का सामान हूँ

मेरी ख़ामोशी से मेरे दोस्त कुछ परेशान हैं
और मैं अपने ज़हन के शोर से परिशान हूँ

कुछ किताबें फ़लसफ़े की पढ़ के जाना है यही
कुछ न जाना है अभी  - हाँ , मैं अभी नादान हूँ

मुझसे उम्मीदें न रख लेना फरिश्तों सी कहीं
मैं भी तो आख़िर तुम्हारे जैसा इक इंसान हूँ

किस लिए रखते हो रंजिश दिल में मेरे वास्ते
चार दिन का ही तो 'राजन ' मैं यहां मेहमान हूँ
                                      " राजन सचदेव "

शब्दार्थ :

जाविदान = अमर, शाश्वत,अनश्वर 
   रुह -जाविदान = अमर आत्मा
किरदार = भूमिका, कर्तव्य , रोल , काम
बेमानी अशआर = अर्थहीन शेर , दोहे
                          (अशआर = शेर का बहुवचन)
मत्ला = किसी ग़ज़ल का पहला शेर
मक़्ता = ग़ज़ल का आखिरी शेर -जिसमे शायर का नाम भी होता है
उन्वान = गीत या कविता का शीर्षक, टाइटल
दाना = विद्वान -समझदार. अक़्लमंद
महज = सिर्फ
तफ़रीह = मनोरंजन, आमोद-प्रमोद , मन बहलावा , दिल बहलाने के लिए
फ़लसफ़ा = फिलॉसफी , दर्शन-शास्त्र
रंजिश = नाराज़गी, दुश्मनी, दुर्भावना

9 comments:

  1. Very very nice Mahatma ji
    Aise hi likhate Raha Maharaj
    Badi Kirpa ji

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  2. Bhaut khoob 👌🙏🏿

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  3. Great thoughts to Ponder !!

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  4. Very nice very true thoughts ji
    Thoroughly enjoyed ji

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  5. क्या खूब लिखा है। एक एक शब्द खुद ही गजल सा गहरा।
    वाह वाह

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  6. Wah! I wish I can find out who am I ? What my value is in my life and in other’s life, and what my dury is to my fellow humanbeings !

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  7. Bahut khoob Bahut Umda
    Great writing👏👏👏👏👏

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