Monday, October 2, 2017

विश्वास क्या है ?

जब हम किसी बात को बार-बार सुनते हैं ... दो, चार सौ या हजार बार, तो हमें उस पर विश्वास होने लगता है।  

और यदि हमें उसके विपरीत - एक अलग तरह का तर्क बार बार सुनने को मिले, 
तो हमारा विश्वास कमज़ोर हो कर टूटना शुरू हो जाता है।

लेकिन ऐसा विश्वास - जो अपने व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है - ज्ञान बन जाता है

और अपने व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित ज्ञान न तो टूटता है - न ही उसे कमजोर किया जा सकता है। 

इसलिए, चन्द अफवाहों को  सुन कर उनसे से प्रभावित अथवा प्रेरित होने के बजाय
बुद्धिमान लोग अपने अनुभव पर भरोसा करते हैं और तदनुसार कार्य करते हैं।

                                                                         'राजन  सचदेव '

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Easy to Criticize —Hard to Tolerate

It seems some people are constantly looking for faults in others—especially in a person or a specific group of people—and take immense pleas...