Thursday, September 1, 2016

न पहले सा वो शौक़ है, न जोश है किरदार में

न पहले सा वो शौक़ है, न जोश है किरदार में
ज़ुबां   में वो ताक़त रही न दम रहा गुफ़्तार में

न पहले सी वो सोच है  न लुत्फ़ है इज़हार में
न पहले सा जज़्बा रहा न दिल है अख़्तियार में

बदल गई हैं नीयतें - ख़ुदग़रज़ियाँ हैं प्यार में
सीखने की चाह नहीं उलझे हैं सब तक़रार में

बातों में ऊँचे फ़लसफ़े पर दम नहीं इक़रार में
फ़र्क़ नहीं दिखता कोई अपनों में और अग़यार में

न मारफत की लगन है न दिल है इंकसार में
चाहते हैं लोग बस तस्वीर अपनी अख़बार में

लगता है वो सच, जो लिखा हो इश्तिहार में
इसीलिए तो झूठ भी बिक जाता है बाज़ार में

न ज़ौक़ है न शौक़ है न दम है कुछ इसरार में
बे-वजह रहता है दिल हर वक़्त इश्तिकार में

न सबर है न शुकर है दिन रात है अफ़क़ार में
मग़रूर है हर शख़्स अपने हुनर के इफ़्तिख़ार में

मसरूफ है हर कोई देखो अपने कारोबार में
किसको फ़ुरसत है कि देखे किसी दिले अफ़गार में

उलझा है हर आदमी बस ग़मे - रोज़गार में
किसे फ़िकर? क्या हो रहा है आज इस संसार में

कौन चाहता है उलझना किसी आज़ार में
मासूम फँसते जा रहे हैं फंदा ए अय्यार में

न पहले सी सलाहियत ही अब रही अनफ़ार में
कितनी हैं तब्दीलियाँ अब रस्मों में, अतवार में

गाते थे नग़मे कभी तल्बे विसाले-यार में
शौक़ है नुमायशों का आज के फ़नकार में

महरम नहीं कोई किसी काआज केअदवार में
कौन पूछता है दोस्तों को हाले ज़ार में

जज़्बा-ए दिल गुमशुदा है अक़्ल के पिन्दार में
बदल गयी रिवायतें मारफ़त के कारोबार में

बात बस इतनी सी है गर कह दूँ इख़्तिसार में
रूहानियत भी ढलती जा रही अब ब्योपार में

जो भी कहना था वो कह डाला है इन अशआर में
अब यही दुआ है 'राजन' दरगाहे - सरकार में

नज़र में हों नफ़ासतें, ज़ुबान ज़िक्रे-यार में
फ़ितरत में हों सदाक़तें, यक़ीं परवरदिगार में

              बक़लम :   ' राजन सचदेव '

किरदार          Action
गुफ़्तार            Speech
इज़हार           Communication / Presentation of thoughts
जज़्बा              Zeal
अख़्तियार        Control 
ख़ुदग़रज़ियाँ     Selfishness
तक़रार            Arguemnets
इकरार            promise
अग़यार           Others  ग़ैर 
मारफत           Spirituality
इंकसार           Humility
इश्तिहार         Publicity
ज़ौक़               Zeal
इसरार            Determination
इश्तिकार        Complaints  शिकायतें 
अफ़क़ार         Worries    फ़िक़्र 
इफ़्तिख़ार        Pride       फ़ख़र 
मसरूफ         Busy
अफ़गार          Injured  zakhmi ज़ख़्मी 
आज़ार            Trouble  मुसीबत 
अय्यार             Cunning  चालाक 
सलाहियत        Qualities / virtues 
अनफ़ार           Masses / People
अतवार            Traditions  तौर- तरीके 
महरम             Well-wisher, Sympathetic
अदवार            Time / date
हाले ज़ार          In trouble
जज़्बा-ए दिल   Feelings / emotions of the heart
गुमशुदा           Missing / lost
पिन्दार             Ego / Pride
रिवायतें            Tradions  रिवाज़ 
इख़्तिसार         in Brief     मुख़्तसर 
नफ़ासतें          Goodness
फ़ितरत           Nature    स्वभाव 
सदाक़तें          Truthfulness सच्चाईयां 
 बक़लम          Written by (From the pen of) 


11 comments:

  1. A superb creation .
    subanallah .
    Vijay

    ReplyDelete
  2. This "Heart-winning Ghazal " "dil jeet lene wali" no other words to say.. "Marhaba" "Marhaba"

    Regards
    Kumar

    ReplyDelete
  3. Dhan Nirankar Rajan Ji .
    Very nice and true.
    Sukhdev

    ReplyDelete
  4. Real and touching. Thanks for sharing ji

    ReplyDelete
  5. Bohot khoob Rajanji. Mazaa aa gayaa.
    Reading it again and again

    ReplyDelete
  6. Very nice ji....dhan nirankar ji

    ReplyDelete

Two Types of Gratitude

There are two types of gratitude. The first type of gratitude is for what we have - what we have received. The second is for what we did not...