Thursday, April 23, 2015

अंतर्मन का दरवाजा

क्या देख सकते हैं किसी के भीतर जा कर हम 
कि उसके मन में क्या है ?

या कोई भला कर सकता  है प्रवेश 
मेरे अन्तर्मन में ?

स्वयं हमें ही खोलना होगा 
अपने भीतर जा कर 
अपने अन्तर्मन का दरवाजा 

 लेकिन शोरो-गुल में  नहीं 
ख़ामोशी में ही मिलेगा रास्ता 
घर में दाखिल होने का 
क्योंकि 
          " 'मैं' ही रास्ता हूँ 
         ' मैं ' ही हूँ स्वर्ग का प्रवेश द्वार
         ('I' am the way, I am the gate) (बाईबल  )

          "मुझ ' को जान कर - ' मुझ ' में स्थित हो जाओ "   (भगवद् गीता)

जिस दिन ये बयान किसी और का नहीं 
बल्कि  मेरा हो जायेगा 
तो खुलने लगेगा रास्ता भी मंज़िल का 

सो बाहर भटक भटक कर 
थक  हार कर 
जब "निज घर" को  पाने की चाह जगे 
तो चुपके से अपने भीतर जाकर 
खोल लेना स्वयं ही अपने अंतर्मन का दरवाजा 

और ये सब कुछ बे-आवाज़ होगा 
किसी को ख़बर तक ना होगी 

क्योंकि तुम …
कोई और नहीं .... केवल तुम  …… 
बस  तुम ही खोल सकते हो 
अपने अंतर्मन का दरवाजा 
            
          "राजन सचदेव "

Note:

मैं' ही रास्ता हूँ    ('I' am the way, I am the gate )
"मुझ ' को जान कर - ' मुझ ' में स्थित हो जाओ "

इन पँक्तियों में  " I , मैं एवं मुझ "  से अभिप्राय जीसस या कृष्ण से  नहीं बल्कि  'स्वयं ' से  है।  




4 comments:

  1. Rajan Ji,
    Thank you so so very much for your research, in depth study and analysis but above all for sharing with us so that we also benefit from it.

    I always heard in the sangat and thought it too that "I am the way, I am the gate.." refers to Jesus, Krishna i.e Guru. You certainly gave a different perspective which makes a lot of sense.

    "English teacher" is also thought provoking. Thanks.

    Kind regards,
    Ram L Minocha

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  2. Thank you Dear Minocha ji. You are a great inspiration too.

    My point was that God and Guru are always there at the door, waiting to enter into our hearts and mind but "I am" the one who is blocking them from entering. So I am the gate which needs to be opened, by none other but me.
    Thanks again.
    Rajan

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  3. Dhan Nirankar ji.

    Very beautiful explaination of "I am the way, I am the gate". It shows that only Gyani can understand what scriptures are talking about. It reminded me that Rev. Lachhman Singh ji from San Francisco used to say a line; ae maqbool kise dhoondta hai, manzil bhi main hoon, aur rasta bhi main.
    "Antar mann ka darwaja" is very inspiring for me.
    Thank you.

    Regards
    Ravinder

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    Replies
    1. Thanks. I believe he might be mentioning a sher from one of Allama Iqbal's Gazal.
      Which is

      Dhoonta Phirta Hun Ae Iqbal Apne App Ko
      App Hi Goya Musafir, App Hi Manzil Hun Mein

      O Iqbal! I am in constant search for myself
      I am the traveler as well as the destination

      Delete

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