अगर हर व्यक्ति को अपने ही नज़रिये से परखेंगे -
तो ऐसा लगेगा कि शायद कोई भी अपना नहीं है।
लेकिन अगर हम प्रेम और निष्पक्ष भाव से दूसरों के विचारों और कार्यों को समझने का यत्न करें -
लेकिन अगर हम प्रेम और निष्पक्ष भाव से दूसरों के विचारों और कार्यों को समझने का यत्न करें -
तो फिर सभी अपने ही हैं।
" राजन सचदेव "
" राजन सचदेव "
जितना अपनेपन का भाव होगा, उतनी ख़ुशी भी होगी।
ReplyDeleteBeautiful🙏
ReplyDelete👌🙏🙏🙏
ReplyDeleteकृपा करे ईश्वर सब अपने ही लगे, अपने ही नजर आयें 🙏🙏
ReplyDeleteBahut hee Uttam bhav ji.🙏
ReplyDeleteJai