Tuesday, January 16, 2024

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
बहुत आगे गए -- बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं

न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनी
तुझे अटखेलियाँ सूझी हैं - हम बे-ज़ार बैठे हैं

नजीबों का अजब कुछ हाल है इस दौर में यारो
जिसे पूछो यही कहते हैं - हम बेकार बैठे हैं

कहाँ गर्दिश फ़लक की चैन देती है सुना 'इंशा' 
ग़नीमत है कि हम-सूरत यहाँ दो-चार बैठे हैं 
                         "इंशा अल्लाह ख़ान इंशा" 


निकहत-ए-बाद-ए-बहारी = बसंत रुत में - बहार में चलने वाली हवा की ख़ुशबू
बे-ज़ार = निराश, परेशान, दुखी
नजीब = कुलीन, सच्चे, नेक, उदार, निष्कपट, प्रशंसनीय, प्रशंसा-योग्य इत्यादि
गर्दिश  = घूमना, चक्कर, क़िस्मत का फेर, समय का परिवर्तन, दुर्भाग्य, बदक़िस्मती वग़ैरा 
ग़नीमत है   = यही बड़ी बात है कि हमारे जैसे दो चार दोस्त मित्र अभी बैठे हैं 

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When the mind is clear

When the mind is clear, there are no questions. But ... When the mind is troubled, there are no answers.  When the mind is clear, questions ...