Sunday, January 21, 2024

मोहब्बत-आश्ना दिल मज़हब-ओ-मिल्लत को क्या जाने

मोहब्बत-आश्ना दिल मज़हब-ओ-मिल्लत को क्या जाने
हुई रौशन जहाँ भी शम्अ - परवाना वहीं आया
                                       " नातिक़ लखनवी "
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जिसका हृदय प्रेम में मग्न है - प्रेम में डूबा है - 
जिसका दिल मोहब्बत से सराबोर है - 
वो मज़हब और समाज की दीवारों को नहीं मानता। 

परवाना ये नहीं देखता कि शम्मा किस महफ़िल में जल रही है - 
पतंगा कभी ये नहीं देखता कि दीपक किस घर में जल रहा है 
उसे तो रौशनी से गरज़ है - जहां कहीं भी दीपक जले वहीं पतंगे आ जाते हैं 
शम्मा किसी भी महफ़िल में जले - परवाने वहीं पहुँच जाते हैं। 

इसी तरह ज्ञान एवं प्रेम का दीपक जहां भी प्रज्वल्लित होता है  -
जहां भी ज्ञान और प्रेम की रौशनी दिखाई देती है - 
जिज्ञासु एवं प्रेमी भक्तजन अपनी श्रद्धा के सुमन भेंट करने वहां पहुँच जाते हैं -  
वो धर्म मज़हब समाज और मिल्लत  की दीवारों में बंधे नहीं होते। 
प्रेमी हृदय इन सब बातों से ऊपर - इन सब बंधनो से आज़ाद होता है। 
                                  " राजन सचदेव "

6 comments:

  1. Very apt message for society who is becoming divisive based on religion...thanks Rajan ji ..Ashok Chaudhary

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  2. Super nice. Touched my heart. May you be blessed with still more strength so you continue to help us strengthen our faith. God bless you and your ‘Kalam’.

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  3. Beautiful Rajan ji. We miss you in sangat. want to listen to you and learn from you a lot God bless Nirmal with good health and we can see you both in Sangat ji. Dhan Nirankar ji. 🙏🙏

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  4. Beautiful thoughts to keep complete faith at Satguru and Nirankar always, Dhan Nirankar ji.

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  5. My heart bows into your feet you have been the source of enlightenment for me.

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  6. Beautiful ji 🙏🙇‍♀️

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