Tuesday, January 9, 2024

मैय्या मोरी मैं नहीं आज नहायो - हास्यात्मक पैरोडी

मैय्या मोरी मैं नहीं आज नहायो
भोर भई इशनान करन को बाथरुम मोहे पठायो
बर्फीला पानी जब देखा - प्राण गले में आयो
मैं बालक सर्दी का मारा त्राहि-त्राहि  चिल्लायो
घरवाले सब बैर पड़े थे बरबस मुख धुलवायो
तू जननी मन की अति भोली, बापू से कुटवायो
जिय तेरे कछु भेद दिखत है, काहे न मोहे बचायो 
ये ले अपनी बाल्टी साबुनिया बहुत ही नाच नचायो 
"नव सूरदास" तब हंस के मैय्या ड्राई-क्लीन करवायो 
मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो
                  (लेखक अज्ञात) 

सूरदास रचित मौलिक रचना -- मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो 

नोट -- जिस रुप में ये पद्य मिला था उसमे कुछ पंक्तियाँ मैंने अपनी समझ के अनुसार बदल दी हैं 

4 comments:

When the mind is clear

When the mind is clear, there are no questions. But ... When the mind is troubled, there are no answers.  When the mind is clear, questions ...