मैय्या मोरी मैं नहीं आज नहायो
भोर भई इशनान करन को बाथरुम मोहे पठायो
बर्फीला पानी जब देखा - प्राण गले में आयो
मैं बालक सर्दी का मारा त्राहि-त्राहि चिल्लायो
घरवाले सब बैर पड़े थे बरबस मुख धुलवायो
तू जननी मन की अति भोली, बापू से कुटवायो
जिय तेरे कछु भेद दिखत है, काहे न मोहे बचायो
ये ले अपनी बाल्टी साबुनिया बहुत ही नाच नचायो
"नव सूरदास" तब हंस के मैय्या ड्राई-क्लीन करवायो
मैया मोरी मैं नहीं आज नहायो
(लेखक अज्ञात)
सूरदास रचित मौलिक रचना -- मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
नोट -- जिस रुप में ये पद्य मिला था उसमे कुछ पंक्तियाँ मैंने अपनी समझ के अनुसार बदल दी हैं
😂
ReplyDeleteBahut Masti main likhi kissiney
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