Thursday, January 11, 2024

बैठ कभी एकांत में जब गुनगुनाओगे

खोज में तुम जिस की यूं दर दर भटकते हो 
हर किसी के आगे  यूं माथा रगड़ते हो 

देखो - वो महबूब कण कण में समाया है 
है नज़र का दोष जो उसको देख न पाया है 

बैठ कभी  एकांत में जब गुनगुनाओगे 
अपने दिल में ही उसे बैठा तुम पाओगे 
                  (लेखक अज्ञात - नामालूम)

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega