और हमें ऊपर उठने नहीं देती ।
संकीर्ण सोच वाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ सकते ।
वे न तो अपना भला कर सकते हैं और न ही किसी और का।
आगे बढ़ने और ऊपर उठने के लिए ये ज़रुरी है कि हमारी सोच ऊँची और विशाल हो।
संकीर्ण सोच वाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ सकते ।
वे न तो अपना भला कर सकते हैं और न ही किसी और का।
आगे बढ़ने और ऊपर उठने के लिए ये ज़रुरी है कि हमारी सोच ऊँची और विशाल हो।
ऐसी सोच - जो तर्क और व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हो ।
दूसरों के ज्ञान और अनुभवों से हमें प्रेरणा तो मिल सकती है
लेकिन जब तक वह हमारा अपना अनुभव नहीं बन जाता
तब तक हमें व्यक्तिगत रुप से कोई लाभ नहीं हो सकता।
दूसरों के ज्ञान और अनुभवों से हमें प्रेरणा तो मिल सकती है
लेकिन जब तक वह हमारा अपना अनुभव नहीं बन जाता
तब तक हमें व्यक्तिगत रुप से कोई लाभ नहीं हो सकता।
'राजन सचदेव '
Bilkul sahi ji
ReplyDelete👍🙏
ReplyDelete🙏🙏👌!
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