Thursday, March 3, 2022

दिल है कि फिर भी गिला करता रहा

ज़िंदगी में जो चाहा  मिलता रहा    
दिल है कि फिर भी गिला करता रहा

बिरवा मेरे आँगन का मुरझा गया
सहरा में 
हर फूल मगर खिलता रहा

बातिन-ओ-ज़ाहिर न यकसाँ हो सके
कशमकश का सिलसिला चलता रहा

औरों  को  देते  रहे  नसीहतें
आशियां अपना मगर जलता रहा

माज़ी का रहता नहीं उसको मलाल
वक़्त के सांचे में जो ढ़लता रहा

पा सका न वो कभी 'राजन ' सकूँ
जो हसद की आग में जलता रहा
                            ' राजन सचदेव '


बिरवा       =  पेड़     Tree
सहरा   =      रेगिस्तान, Desert
बातिन  =  inside, internal, inner self, hidden self, conscience, mind
बातिन-ओ-ज़ाहिर  =  अंदर-बाहर  Inside & outside - Hidden & Visible - Thoughts & Actions
यकसाँ     =   एक जैसा Same, similar, as one
माज़ी       =  भूतकाल Past
मलाल   =  अफ़सोस Regret
हसद     =   ईर्ष्या, Jealousy

9 comments:

झूठों का है दबदबा - Jhoothon ka hai dabdabaa

अंधे चश्मदीद गवाह - बहरे सुनें दलील झूठों का है दबदबा - सच्चे होत ज़लील Andhay chashmdeed gavaah - Behray sunen daleel Jhoothon ka hai dabdab...