बुद्धि ज्ञान से युक्त रहे
मन अहम भाव से मुक्त रहे
और कर्म सदा उपयुक्त रहे
तो जीवन सहज सरल सदा आनंदित रहता है
जो अपने काम में व्यस्त रहे
जो मिला है उसमें तृप्त रहे
और अपने आप में मस्त रहे
तो उसका जीवन शांत - चिंता मुक्त रहता है जो मोह माया में ग्रस्त रहे
औरों के सुख से त्रस्त रहे
निज स्वार्थ में आसक्त रहे
तो उसका जीवन -आनंद से रिक्त रहता है
ईश्वर का आभास रहे
मन में भक्ति का वास रहे
और सुमिरन स्वास स्वास रहे
तो मोह माया के जाल से विरक्त रहता है
जो हर रंग में इक रंग रहे
मन में न कोई तरंग रहे
हर समय प्रभु के संग रहे
'राजन ' वह परम आनंद में अनुरक्त रहता है
" राजन सचदेव "
Wonderful🌿🌷🌿
ReplyDeleteVery nice.
ReplyDeleteTu hi nirankar Tu hi nirankar
ReplyDeleteDaya karo Bakhshish Karo aisa jeeven ho jaaye uncle ji
ReplyDeletevery nice ji. ��
ReplyDeleteV v v nice mahatma ji
ReplyDeleteI am very much impressed with your thoughts on Buddhi Gyaan ��
ReplyDeleteS . Singh
Thank you ji for consistent reminders. 🙏
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