अगर उसे अपनी मूर्खता - या अपनी कमअक्ली का एहसास हो जाए
और अगर वो ईमानदारी से आगे बढ़ने और सीखने की कोशिश करे
तो अवश्य ही वह विद्वान एवं प्रतिभाशाली बन सकता है।
दूसरी तरफ एक विद्वान इंसान भी मूर्ख हो जाता है
जब वह ये सोचने लगता है कि वह एक प्रतिभाशाली है -
जब उसे अपनी विद्वता और प्रतिभा का अहंकार होने लगता है ।
क्योंकि सत्य का ज्ञान इंसान को विनम्र बनाता है - अभिमानी नहीं।
क्योंकि सत्य का ज्ञान इंसान को विनम्र बनाता है - अभिमानी नहीं।
Beautiful 🌷
ReplyDeleteAbsolutely right 🙏🏻🙏🏻😊😊
ReplyDeleteThanks uncle ji
ReplyDeleteAwesome