किसको मिले हैं अपनी तबीयत के चार दिन ?
Thursday, March 31, 2022
किसको मिले हैं अपनी तबीयत के चार दिन کس کو میل ہیں
किसको मिले हैं अपनी तबीयत के चार दिन ?
Who has enjoyed four perfect days?
Time never asks anyone what they want - about their heart's desire.
Who has enjoyed four perfect days of his choice?
Note:
Four days is a metaphor in Indian ideology for
Adolescence, Childhood, Youth, and old age
Wednesday, March 30, 2022
न पीर से पूछो - न फ़क़ीर से पूछो
अपने बारे में ख़ुद अपनी ही ज़मीर से पूछो
क्योंकि आपके बारे में आप से बेहतर कोई नहीं जानता।
लोग आपके बारे में वही जानते हैं जो आप बाहर से दिखते हैं या दिखना चाहते हैं।
असल में आप क्या हैं - ये सिर्फ आप ही जान सकते हैं - दूसरा कोई नहीं।
इसलिए - अगर आप वाकई स्वयं को जानना चाहते हैं तो कभी अकेले बैठ कर
अपने मन को पढ़ने की कोशिश करें।
न किसी पीर से पूछो - न फ़क़ीर से पूछो
अपने बारे में ख़ुद अपनी ही ज़मीर से पूछो
Na Peer say poochho na Fakeer say (Don't ask a wise - nor a mystic)
If you really want to know yourself -
Because no one knows you better than yourself.
People know about you only as they see you from the outside -
Only you can see who you really are - no one else can.
Therefore, if you truly want to know yourself, then occasionally sit alone and try to read your own mind.
Try to understand your own thoughts, desires, and feelings - sincerely and honestly.
Look at yourself as critically as you see others.
This is called Sakshi-Bhaav in the scriptures
There can be no better way than this to know yourself.
Tuesday, March 29, 2022
Buddhi Gyaan say yukt rahay (The intellect full of wisdom)
बुद्धि ज्ञान से युक्त रहे - मन अहम भाव से मुक्त रहे
Sunday, March 27, 2022
क्या आप किसी बंगले या फ्लैट में रहते हैं ?
वास्तव में हम अपने मन और चित्त में रहते हैं।
वही हमारा स्थायी निवास है। हम अपना अधिकतर समय वहीं - यानि अपने मन में ही बिताते हैं।
और वहां कोई स्केयर फीट या स्केयर गज की कोई संकीर्णता और बाध्यता भी नहीं है।
और क्या आप जानते हैं ?
आपके कमरे, बालकनी, गैरेज और बरामदे कितने भी सुव्यवस्थित क्यों न हों -
जीवन तभी अच्छा और सुंदर हो सकता है जब मन व्यवस्थित हो -
लेकिन यही वह जगह है जहां हम अक़्सर गंदगी रहने देते हैं -
अगर कभी कोई गंदगी दिखाई भी दे तो उसे साफ़ करने की कोशिश नहीं करते।
मन के एक कोने में पछतावा भरा पड़ा है - तो एक कोठरी में फ़िज़ूल आशाएं और उम्मीदें -
अगर प्रसन्न रहना है तो ये ज़रुरी है कि अपने मन रुपी घर को साफ़ रखा जाए।
इन सब चीज़ों से बच के रहा जाए।
लेकिन अपने इस 'असली घर' को साफ रखने के लिए हम कोई नौकर या हाउस-कीपर नहीं रख सकते।
न ही कोई दूसरा आदमी जादू की इक छड़ी हिला कर हमारे मन को साफ़ कर सकता है।
ये काम तो हमें स्वयं ही करना पड़ेगा।
We live in our minds
नमक और काली मिर्च की शीशियाँ
ऑर्डर देने के बाद, उन्होंने देखा कि उनके टेबल पर रखे नमक के शेकर (शीशी ) में काली मिर्च थी
उन्हों ने सोचा कि जब तक खाने का इंतज़ार कर रहे हैं , तो क्यों न उन शीशियों को प्लेटों में खाली करके दुबारा सही शेकर (शीशियों) में भर दिया जाए?
उन्होंने वेटर को बुलाया और उससे दो खाली प्लेट, नैपकिन और एक चम्मच लाने को कहा।
वेटर ने आश्चर्य से उनकी तरफ देखा।
उसे असमंजस में देख कर एक मित्र ने कहा कि देखो -
लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बात खत्म कर पाते, वेटर ने बीच में ही टोक कर कहा -- ओह - सॉरी - माफ़ कीजिये।
वह मेज पर झुका - दोनों शीशियों के ढक्कन खोले और बदल दिए ।
अचानक वहां सन्नाटा छ गया ।
अक़्सर हमारे जीवन की अधिकांश समस्याओं के लिए भी सरल उपाय होते हैं
लेकिन हमारी सोच कभी-कभी सरल समाधानों को बहुत जटिल बना देती है।
Salt and Pepper
After placing the order, they discovered that their salt shaker contained pepper, and the pepper shaker was full of salt.
While waiting for their food, they decided to swap the contents of the two bottles by emptying them on two different plates or napkins and filling them again in the appropriate bottles.
They called the waiter and asked him to bring two empty plates, napkins, and a straw or a spoon.
The waiter looked at them strangely - wondering why they needed those things.
They said, "We couldn't help noticing that the pepper shaker contains salt and the salt shaker contains pepper..."
But before they could finish, the waiter interrupted & said,
He leaned over the table, unscrewed the caps of both bottles, and switched them.
There was dead silence.
For most problems in our lives, there are simple solutions,
Saturday, March 26, 2022
Duniya ik Ajab ...The world I see.. दुनिया इकअजब सराए
जो आ के न जाए वो बुढ़ापा देखा
जो जा के न आए वो जवानी देखी
' अनीस लखनवी ' (1803–1874)
Duniya ik ajab Saraaye-Faani dekhi
Har cheez yahan ki aani jaani dekhi
Jo aa kay na jaaye woh budhapa dekhaa
Jo jaa kay na aaye - woh jawaani dekhi
' Mir Anees Lakhnavi ' (1803–1874)
The world I see is a strange, deviant kind of inn -
Everything (and everyone) we see here comes and goes.
(Nothing is for keeping)
Saw the old age - which once comes- never goes away.
And the youth - once it's gone, never comes back.
Saraaye --- Free travelers lodge or inn where travelers & visitors can stay for a few days.
Faani - Perishable
Friday, March 25, 2022
जब कोई समस्या पेश आये
अथवा किसी विचारधरा से कोई समस्या पेश आती है
तब या तो उस समस्या का समाधान खोज कर उसे दूर करने की कोशिश करें
या स्वयं उस व्यक्ति और उन परिस्थितियों से दूर हो जाएँ
लेकिन समस्या के साथ जीने की कोशिश न करें ।
क्योंकि समस्या के साथ जीते रहने से तो मन में हमेशा तनाव ही बना रहेगा
When you face a problem
Thursday, March 24, 2022
125 Years old Swami Sivanand receives Padma Shri
His greatness shows in his humility as well
मूर्ख भी विद्वान बन सकता है
अगर उसे अपनी मूर्खता - या अपनी कमअक्ली का एहसास हो जाए
और अगर वो ईमानदारी से आगे बढ़ने और सीखने की कोशिश करे
दूसरी तरफ एक विद्वान इंसान भी मूर्ख हो जाता है
जब वह ये सोचने लगता है कि वह एक प्रतिभाशाली है -
क्योंकि सत्य का ज्ञान इंसान को विनम्र बनाता है - अभिमानी नहीं।
A Fool can become a Genius
And a Genius becomes a Fool
~ Abdul Kalam
Wednesday, March 23, 2022
The grass looks greener on the other side
Tuesday, March 22, 2022
It is better to look ahead भविष्य की तैयारी करें
अतीत को देखकर पछताते रहने से बेहतर है कि आगे देखें
Monday, March 21, 2022
When you don't feel the need to impress people
Saturday, March 19, 2022
How do you know if you are rich?
Friday, March 18, 2022
वो गुलाब बन के खिलेगा क्या How can one bloom like a rose
जो चिराग बन के जला न हो
•बशीर बद्र •
Holi - The festival of Colors
Thursday, March 17, 2022
Story of Holika Dehan with its meaning
He performed some hard Tapa (penances) until he was granted a boon by Lord Brahmaa.
Having received that boon, he became very egotistic and ordered everyone in his kingdom to worship him.
However, his son Prehlad refused to do so.
He said none other than Ram* (the Almighty God), which is Omnipresent and all-pervading - prevalent in the earth, waters, and the sky is worthy of worship.
It made Hiranyakashyap extremely angry, and he made several attempts to kill Prehlad - his own son.
But every time, he was miraculously saved.
After failing several attempts, King Hiranyakashayap called upon his sister Holika for help.
According to the story, Holika had a special cloak - a garment that prevented her from being harmed by fire.
She proposed that she would sit on a bonfire wearing that cloak while holding young Prahlad on her lap.
She knew that she would not be harmed by the fire, but Prehlad will burn.
However, as the fire roared, the garment flew away from Holika and fell over Prahlad - covering him completely. Therefore, Holika was burnt to death, and Prehlad came out unharmed.
Like all other ancient Hindu stories, regardless of whether it is a true story or not - it has a deeper, symbolic - metaphorical meaning.
Holika was a demon - a person with evil thoughts.
But she was always able to cover her evil intentions by wearing her special cloak - the mask of goodness.
Meaning - a cover of charity with a smiling face and charming personality that would prevent her from the fire of people's anger.
However, when she faced the fire of the people's test along with Prehlad - her cover was blown away.
Everyone saw her face without the mask, and the goodness and truthfulness of Prehlad became evident to all.
She lost, and Prehlad came out unharmed.
We often see these kinds of scenarios in our life as well.
Many people pretend to be genuinely good - to be saints - by hiding their real intentions behind the masks of sainthood and charity.
But, when real Saints like Prehlad appear on the scene, the falsehood is blown away - and the Truth prevails.
When we understand the hidden meanings and messages behind these stories, the celebration of these festivals makes more sense and becomes beneficial to all.
' Rajan Sachdeva '
होलिका-दहन - एक प्रेरणा दायक कहानी
उस वरदान को पाकर वह अत्यंत अहंकारी हो गया और उसने अपने राज्य में सभी को अपनी पूजा करने का आदेश दिया।
लेकिन उस के पुत्र प्रहलाद ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि वह एक सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के अलावा और किसी की उपासना नहीं करेंगे।
हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ, और उसने अपने ही पुत्र प्रहलाद को मारने के कई प्रयास किए।
लेकिन प्रहलाद हर बार चमत्कारिक रुप से बच गया।
कई प्रयासों में विफल होने के बाद, राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को मदद के लिए बुलाया।
कहानी के अनुसार, होलिका के पास एक विशेष ओढ़नी थी - एक ऐसा शॉल था जिसे ओढ़ने के बाद आग उसे जला नहीं सकती थी।
वह अपनी गोद में युवा प्रह्लाद को बिठा कर जलती हुई आग पर बैठने को तैयार हो गई - इस विचार से कि उसे तो आग से कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन प्रह्लाद जल जाएगा।
लेकिन जैसे ही आग भड़की, वह शॉल होलिका के तन से उड़ कर प्रह्लाद के ऊपर गिर गया और उसे पूरी तरह से ढँक दिया।
इस तरह होलिका तो जलकर भस्म हो गई, और प्रह्लाद को कोई आंच नहीं आई।
अन्य सभी प्राचीन हिंदू कहानियों की तरह - इस कहानी के पीछे भी कुछ गहरे, प्रतीकात्मक अर्थ हैं।
होलिका एक दानव वृति की स्त्री थी - बुरे विचारों वाली।
लेकिन वह अपने विशेष शॉल के साथ अपने बुरे इरादों को छुपाने में सक्षम थी।
शॉल - अर्थात बाहर से अच्छाई का आवरण। वह अपने चेहरे पर अच्छाई का मुखौटा पहन लेती थी और लोगों के क्रोध की आग से बच जाती थी।
लेकिन जब उसे प्रहलाद के साथ परीक्षण की आग का सामना करना पड़ा तो उसका आवरण उड़ गया। सभी ने उसके असली रुप को - नकाब के बिना उसके असली चेहरे को देख लिया और प्रह्लाद की सच्चाई और पवित्रता सबके सामने स्पष्ट हो गई।
हमें भी अक्सर अपने आस पास इस प्रकार के कई दृश्य देखने को मिलते हैं ।
दान इत्यादि अच्छे कर्मों का आवरण ओढ़ कर - मुख पर सरलता और भोलेपन का मुखौटा पहन कर अपने वास्तविक इरादों को छिपाने में सफल हो जाते हैं।
उन्हें लगता है कि जनता अथवा लोग उनका कोई नुकसान नहीं कर सकते।
लेकिन जब प्रहलाद जैसे सच्चे महात्माओं का आगमन होता है तो ऐसे लोगों का झूठ प्रकट होते ही उनका शासन समाप्त हो जाता है।
और सत्य की विजय होती है।
' राजन सचदेव '
Monday, March 14, 2022
Life is a journey
Every event, every incident may provide us with a new experience.
Learning from them and keep on moving forward toward the goal -
To achieve the desired destination, we must continue to strive on the straight path.
We must undertake our journey by ourselves.
'Rajan Sachdeva '
Saturday, March 12, 2022
Praise and Criticism
False praise creates ego and arrogance in our minds and prevents us from moving forward.
प्रशंसा एवं आलोचना
तो बहुत सी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
झूठी प्रशंसा मन में अहंकार पैदा करती है और आगे बढ़ने से रोकती है।
दूसरों से श्रेष्ठ होने का भाव हमें अपने जीवन में सुधार लाने और आगे बढ़ने के मार्ग में बाधा बन जाता है ।
दूसरी ओर - यदि वास्तविक - वैध, और सकारात्मक आलोचना को स्वीकार करके उस पर ईमानदारी से विचार किया जाए तो वह त्रुटियों को सुधारने में मदद कर सकती है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
Friday, March 11, 2022
Thursday, March 10, 2022
If you can't find a companion
- like an elephant roams alone in the forest.
It's better to be alone instead of being with people who hinder your progress.
अगर कोई अच्छा साथी न मिले
तो अकेले चलिए - जैसे हाथी जंगल में अकेला ही घूमता है
New vs old generation
Tuesday, March 8, 2022
इच्छाओं का बोझ
अक़्सर हसरतों और अधिक इच्छाओं का बोझ भी हमें थका देता है।
इच्छाएं और ज़रुरतें कम हों तो मन संतुष्ट और प्रसन्न रहता है।
सिर्फ दूसरों से ही नहीं बल्कि अपने आप से भी अधिक अपेक्षाएं रखने से मन में बेचैनी बनी रहती है।
The burden of desires
Sunday, March 6, 2022
प्रतिक्रिया - आवेग से या ज्ञान से
Reacting with impulse or wisdom
Usually, we react impulsively - at the spur of the moment - without thinking.
There are circumstances that might be beyond our control -
Reacting, either with impulse or wisdom, is in our hands.
It may not be easy, but we can learn to control impulsive reactions with practice.
When I was young, I saw some preachers and scholars who reacted impulsively in a harsh manner when they faced disagreement - when they were questioned about their beliefs and knowledge.
Later, when I got the opportunity of preaching in J&K and Punjab, I remembered those incidents and thought I should never react like that.
So, after the congregations - just before meeting people for discussions or question-answer sessions, I would always say to myself -
"There will be some disagreements - some people might be rude and ask absurd questions, but I am not going to get upset. I will try to answer their queries and satisfy their apprehensions about the mission and my beliefs calmly to the best of my abilities."
This practice of reminding myself in advance worked in my favor.
And if some people were still not pleased and satisfied, I would depart in a friendly manner - with a happy ending note.
The point is - that, with practice - we can learn how to handle adverse situations calmly and not react impulsively.
While our circumstances are beyond our control - our choices - decisions, and attitudes are within our control.
' Rajan Sachdeva '
Saturday, March 5, 2022
सोच ऊँची और विशाल होनी चाहिए
संकीर्ण सोच वाले लोग कभी आगे नहीं बढ़ सकते ।
वे न तो अपना भला कर सकते हैं और न ही किसी और का।
आगे बढ़ने और ऊपर उठने के लिए ये ज़रुरी है कि हमारी सोच ऊँची और विशाल हो।
दूसरों के ज्ञान और अनुभवों से हमें प्रेरणा तो मिल सकती है
लेकिन जब तक वह हमारा अपना अनुभव नहीं बन जाता
तब तक हमें व्यक्तिगत रुप से कोई लाभ नहीं हो सकता।
It's vital to have high thinking
Limited and narrow thinking limits us in every field of life.
Narrow-minded people can never move forward and improve.
They can neither do good to themselves nor for anyone else.
If we want to move forward and rise above - it is essential to have high and relevant thinking.
Thinking - that is based upon logic and personal experience.
We can always learn from other people's knowledge and experiences, but until it becomes our own experience, it can never benefit us personally.
' Rajan Sachdeva '
Sub Faislay hotay nahin sikka uchaal kay
Ye dil ka maamlaa hai zaraa dekh-bhaal kay
Mobile kay daur kay aashiq ko kya pataa
Rakhtay thay kaisay khat mein kalezaa nikaal kay
Ye keh kay nayi raushani royegi ek din
Achhay thay wahi log puraanay khyaal kay
Aandhi udaa kay lay gayi ye aur baat hai
Varnaa hum bhi pattay thay majboot daal kay
Tum say milaa pyaar - sabhi ratn mil gaye
Ab kya karengay aur samandar khangaal kay
" Uday Pratap Singh "
Sikka uchhaal kay - By flipping a coin
Ratn - Jewels, Pearls
Khangaal - Stir, Churn
सब फैसले होते नहीं सिक्का उछाल के
ये दिल का मामला है ज़रा देखभाल के
मोबाइलों के दौर केआशिक़ को क्या पता
रखते थे कैसे ख़त में कलेजा निकाल के
ये कहके नई रोशनी रोएगी एक दिन
अच्छे थे वही लोग पुराने ख़याल के
आंधी उड़ा के ले गई ये और बात है
वरना हम भी पत्ते थे मजबूत डाल के
तुमसे मिला है प्यार सभी रत्न मिल गए
अब क्या करेंगे और समंदर खंगाल के
" उदय प्रताप सिंह "
Friday, March 4, 2022
ਜੇਕਰ ਸੂਰਜ ਵਾਂਗ ਚਮਕਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ
ਤਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸੂਰਜ ਵਾਂਗੂ ਜਲਨਾ ਸਿੱਖੋ।
ਕਿਉਂਕਿ ਚਾਹੇ ਸੂਰਜ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਦੀਪਕ
ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਜਲਾ ਕੇ ਹੀ ਦੂਜਿਆਂ ਨੂੰ ਚਾਨਣ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।
अगर सूरज की तरह चमकना चाहते हो
क्योंकि चाहे सूरज हो या दीपक
वह स्वयं जल कर ही दूसरों को रौशनी प्रदान करता है
What is Moksha?
According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...
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Kaise bataoon main tumhe Mere liye tum kaun ho Kaise bataoon main tumhe Tum dhadkanon ka geet ho Jeevan ka tum sangeet ho Tum zindagi...
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मध्यकालीन युग के भारत के महान संत कवियों में से एक थे कवि रहीम सैन - जिनकी विचारधारा आज भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी उनके समय में थी। कव...
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बाख़ुदा -अब तो मुझे कोई तमन्ना ही नहीं फिर ये क्या बात है कि दिल कहीं लगता ही नहीं सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आए आँसू दिल का आलम तो अ...