Tuesday, July 13, 2021

सहरा में बिखरी रेत का एक कण

सहरा में बिखरी रेत का एक कण
जो उम्र भर
बारिश की एक बूँद के लिए तरसता रहा
धूप में तपता रहा
आसमां की तरफ़ तकता रहा
इस उम्मीद में - कि कभी तो वक़्त बदलेगा
इक रोज़ तो आसमां से पानी बरसेगा

अचानक एक दिन
कहीं दूर से कुछ भूले भटके बादल
आकर उसके सर पे मंडराने लगे
उसके मन को हरषाने लगे

ख़ुशी से नाच उठा वो प्यासा रेत का क़तरा
मन में आशा के कुछ दीप जगमगाने लगे
आँखें चमक उठीं -
होंठ गीत गुनगुनाने लगे

उसे लगा - कि दर्द ओ ग़म के दिन अब दूर हुए
ठंडक पाएगी अब बरसों से जलती हुई छाती
उसे लगा - कि ज़िंदगी में अब बहार आएगी
प्यासी ज़िंदगी जलन से राहत पाएगी
महक उठेगी फ़िज़ा फूलों की ख़ुश्बू से हर तरफ
उसे लगा - कि ज़िंदगी चमन हो जाएगी

मगर ये क्या हुआ ?
क्यों हुआ - कैसे हुआ ?
क्या ये उसकी किस्मत थी ?
या क़ुदरत का खेल था ?

कि बारिश बरसने के जब इमकान बनने लगे
नौबहार के कुछ यूं अरमान जगने लगे
आँखों में कुछ नए ख़्वाब सजने लगे

तो हवा के इक झोंके ने उड़ा कर उसे -
कहीं दूर -
धूप से तपते हुए
रेत के एक दूसरे टीले पे लाकर पटक दिया

जहाँ न बादल थे - न उम्मीदों के फूल
बस थी वहां सिरफ़ धूल ही धूल
जहाँ दूर दूर तक हर तरफ बिखरे हुए थे
धूप में जलती हुई रेत के क़तरे ही क़तरे

न आँखों में सपने - न ठंडक न राहत
न धड़कन दिलों में - न नग़मों की चाहत
सीना था जिन का पत्थर सा हो गया
उन्हीं सब के बीच कहीं वो भी खो गया

अरमान जो उठे थे -
वो दिल में ही रह गए
जो सपने सजाए थे आँखों ने -
सपने ही रह गए
अक़्ल की वादी में ज़हन भटकता रहा
आख़िर ऐसा क्यों हुआ -
ये सवाल बार बार खटकता रहा

क्या ये मेरी किस्मत थी ?
या महज़ इक हादसा ?
या थी मेरे पिछले गुनाहों की ये सज़ा ?
या ये उसका शुगल था -मालिक की थी रज़ा ?

सुना है आख़िर तो वही होता है
जो भी मुक़द्दर में लिखा होता है
हमारे सोचने या करने से क्या होता है ?

तो - जो लिखा था किस्मत में मेरी -
वो हो गया
ये समझा के दिल को आख़िर
थक के सो गया
और वो बेचारा रेत का अनजान सा ज़र्रा
रेत के सहरा में कहीं दब के खो गया
                                ' राजन सचदेव '


सहरा - रेगिस्तान
फ़िज़ा - वातावरण
इमकान - संभावना
नौबहार - नई बहार
क़तरे - छोटे छोटे टुकड़े - या बूँदें
महज - केवल, सिर्फ
शुगल - Hobby समय बिताने के लिए मनोरंजन का तरीका
ज़र्रा - छोटा सा कण

17 comments:

  1. very nice very nice

    When will the book of your collections be published?

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  2. Beautiful..no words.. Rajan jee it's just excellent 👍👍

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  3. Bahut khoob ji! Very touching ����

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  4. BAHUT UNCHI PARWAZ H MERE PYARE PYARE RAJAN JI KEHKSHAON SE PAR TK KI

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    1. आपके आशीर्वाद और हौसला-अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया संत जी
      Thank you very much for your blessings and encouragement.🙏🙏

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  5. बहुत खूब����

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  6. Wah! Soo beautiful

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  7. Beautifully penned! So relatable to one’s life..Bakshish ��������

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  8. Marvelous
    Nice expression of feelings.- as usual

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  9. "सेहरा में बिखरी रेत का एक कण" बहुत सुंदर नज़म!

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  10. Very nicely expressed ����

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  11. Beautiful wordings ��
    Verma

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  12. Excellent

    ����������

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  13. कुछ कविताएं सिर्फ पढ़ी न ही जाती, उनको आंखों के सामने घटता हुआ दिखाई देता है, यह कविता उसी में से एक प्रतीत होती है...Thank You For This Wonderful Poem Dr. Rajan Ji...

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