तो वह निराशा और क्रोध बन जाती है।
जब हम इसे स्वीकार कर लेते हैं - तो यह सहिष्णुता बन जाती है।
जब हम अनिश्चितता को स्वीकार नहीं करते तो वह भय बन जाता है।
जब हम इसे स्वीकार कर लेते हैं - तो यह एडवेंचर एवं साहस बन जाता है।
जब हम अपने प्रति दूसरों के बुरे व्यवहार को स्वीकार नहीं करते
तो वह घृणा बन जाती है।
जब हम इसे स्वीकार कर लेते हैं - तो यह क्षमा बन जाती है।
जब हम दूसरे की सफलता को स्वीकार नहीं करते
तो वह ईर्ष्या बन जाती है।
जब हम इसे स्वीकार कर लेते हैं - तो यह प्रेरणा बन जाती है।
परिस्थितियों को स्वीकार कर लेना अर्थात समर्पण ही सफल जीवन की कुंजी है।
जब हम इसे स्वीकार कर लेते हैं - तो यह प्रेरणा बन जाती है।
परिस्थितियों को स्वीकार कर लेना अर्थात समर्पण ही सफल जीवन की कुंजी है।
Hindi Translation Bahut Help karti hai..... You are great
ReplyDeleteThank you Anil ji - it's hard to write in both languages everyday - but I will try to do it more often
ReplyDeleteBeautiful analogy
ReplyDeleteto live peaceful life !!!
Dhan Nirankar.
ReplyDeleteVery true. 🙏🙏🙏🙏