एक स्थान पर एक परिवार ने बड़े प्रेम से उन्हें अपने घर रात्रि के भोजन के लिए आमंत्रित किया जिसे भापा जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
जब शाम को उनके घर गए तो मैंने देखा कि पूरा परिवार ही बहुत प्रेम और श्रद्धा से सेवा में लगा हुआ था।
विशेष तौर पर ग्रहणी माता जी तो बहुत ही भाव विभोर नज़र आ रही थीं और बहुत ही प्रेम एवं नम्रता तथा असीम श्रद्धा भाव से भोजन परोस रही थीं।
अगली सुबह वह परिवार सत्संग भवन पर भापा जी से मिलने और नमस्कार करने के लिए आया। उस माता की आँखों में आंसू थे और वह बार बार भापा जी से माफ़ मांग रही थीं और कह रही थीं कि रात को उनसे बहुत भारी भूल हो गई - उन्होंने खीर भी बनाई थी लेकिन वो प्रसन्नता और भावना में डूबी हुई सब कुछ भूल गईं और खीर रसोई में ही पड़ी रह गई।
" बहुत ग़लती हो गई भापा जी। मुझे सारी रात इस बात का अफ़सोस रहा। क्षमा कर दो। "
भापा जी जोर से हंसे और बोले - "बहु चंगा होया"
बहुत अच्छा हुआ - शुकर कर कि तू खीर देना भूल गई।
सब हैरान हो गए कि इसमें अच्छी और शुकर करने वाली क्या बात है ?
भापा जी कहने लगे कि अगर तू खीर भी दे देती तो शायद तुम्हारे मन में कुछ फ़ख़र की - कुछ अभिमान की बात आ जाती कि आप लोगों ने बहुत सेवा की है। अब चूंकि ये ग़लती हो गई तो आप सब के मन में नम्रता का भाव है कि आप पूरी तरह से सेवा नहीं कर सके।
इसलिए शुकर करो कि इस ग़लती - इस भूल की वजह से आप अभिमान से बच गए।"
उनकी भूल को भी एक सकारात्मक रुप दे कर भापा जी ने जहां उनके मन से ग्लानि के भाव को दूर करने की कोशिश की वहीं हम सब को भी सोचने का एक नया दृष्टिकोण - एक नया ढंग सिखा दिया।
' राजन सचदेव '
भोजन के बाद भापा जी ने परिवार को प्रेम से आशीर्वाद प्रदान किया और वापिस सत्संग भवन पर आ गए।
अगली सुबह वह परिवार सत्संग भवन पर भापा जी से मिलने और नमस्कार करने के लिए आया। उस माता की आँखों में आंसू थे और वह बार बार भापा जी से माफ़ मांग रही थीं और कह रही थीं कि रात को उनसे बहुत भारी भूल हो गई - उन्होंने खीर भी बनाई थी लेकिन वो प्रसन्नता और भावना में डूबी हुई सब कुछ भूल गईं और खीर रसोई में ही पड़ी रह गई।
" बहुत ग़लती हो गई भापा जी। मुझे सारी रात इस बात का अफ़सोस रहा। क्षमा कर दो। "
भापा जी जोर से हंसे और बोले - "बहु चंगा होया"
बहुत अच्छा हुआ - शुकर कर कि तू खीर देना भूल गई।
सब हैरान हो गए कि इसमें अच्छी और शुकर करने वाली क्या बात है ?
भापा जी कहने लगे कि अगर तू खीर भी दे देती तो शायद तुम्हारे मन में कुछ फ़ख़र की - कुछ अभिमान की बात आ जाती कि आप लोगों ने बहुत सेवा की है। अब चूंकि ये ग़लती हो गई तो आप सब के मन में नम्रता का भाव है कि आप पूरी तरह से सेवा नहीं कर सके।
इसलिए शुकर करो कि इस ग़लती - इस भूल की वजह से आप अभिमान से बच गए।"
उनकी भूल को भी एक सकारात्मक रुप दे कर भापा जी ने जहां उनके मन से ग्लानि के भाव को दूर करने की कोशिश की वहीं हम सब को भी सोचने का एक नया दृष्टिकोण - एक नया ढंग सिखा दिया।
' राजन सचदेव '
"Pooran Gursikh" have a totally different perspective of looking at things/situations. Thanks.
ReplyDeleteHe was a Poorn Sant - Learnt so much from him - sometimes just by being in his company.
DeleteBhapa Ramchand ji Kapurthala wale. An iconic jewel of Nirankari mission. Always preached n practised positivity.
ReplyDeleteTu hi niranakr 🙏
ReplyDeletePositive people changes everything in to positivity thats the beauty
ReplyDeletePositive people changes everything in to positivity thats the beauty
ReplyDeleteThank you for sharing valuable anecdotes!
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