अगर बीच में शून्यता ना हो, तो अक्षर नहीं बन सकते ।
यदि अक्षरों के बीच शून्यता ना हो, तो शब्द नहीं बन सकते।
अगर शब्दों के बीच शून्यता ना हो, तो वाक्य नहीं बन सकते।
केवल दीवारों और छत के होने से ही मकान नहीं बन जाता -
दो चार दीवारों को एकसाथ जोड़ कर उस पर छत डाल दें तो वो मकान नहीं कहलाता न ही रहने के क़ाबिल हो सकता है।
एक मकान में रहने के लिए शून्यता या यूँ कहें कि खाली जगह का होना भी ज़रुरी है ।
इसी प्रकार हम देखते हैं कि संसार की हर दो चीज़ों के बीच शून्यता छुपी हुई है।
हमारे चलने फिरने के लिए भी आस पास खाली जगह का होना आवश्यक है।
जितनी ज़्यादा खाली जगह होगी हम उतना ही ज़्यादा दूर सफर तय कर पाएंगे।
ध्यान से विचार करने पर हमें ये पता चलेगा कि हमारे मन के आवारा विचारों के बीच में भी शून्यता होती है।
और जितने ज़्यादा लम्बे समय के लिए ये शून्यता रहती है, हम उतना अधिक शांत और आनंदित महसूस करते है।
इस मन की शून्यता के प्रति और इस शून्यता में जागृत रहकर जीने को ही निराकार ईश्वर की अनुभूति में जीना कहा जाता है।
हमें निरंतर इस निराकार ईश्वर की अनुभूति में जीने का अभ्यास करते रहना चाहिए ताकि मन में शांति बनी रहे।
' राजन सचदेव '
यदि अक्षरों के बीच शून्यता ना हो, तो शब्द नहीं बन सकते।
अगर शब्दों के बीच शून्यता ना हो, तो वाक्य नहीं बन सकते।
केवल दीवारों और छत के होने से ही मकान नहीं बन जाता -
दो चार दीवारों को एकसाथ जोड़ कर उस पर छत डाल दें तो वो मकान नहीं कहलाता न ही रहने के क़ाबिल हो सकता है।
एक मकान में रहने के लिए शून्यता या यूँ कहें कि खाली जगह का होना भी ज़रुरी है ।
इसी प्रकार हम देखते हैं कि संसार की हर दो चीज़ों के बीच शून्यता छुपी हुई है।
हमारे चलने फिरने के लिए भी आस पास खाली जगह का होना आवश्यक है।
जितनी ज़्यादा खाली जगह होगी हम उतना ही ज़्यादा दूर सफर तय कर पाएंगे।
ध्यान से विचार करने पर हमें ये पता चलेगा कि हमारे मन के आवारा विचारों के बीच में भी शून्यता होती है।
और जितने ज़्यादा लम्बे समय के लिए ये शून्यता रहती है, हम उतना अधिक शांत और आनंदित महसूस करते है।
इस मन की शून्यता के प्रति और इस शून्यता में जागृत रहकर जीने को ही निराकार ईश्वर की अनुभूति में जीना कहा जाता है।
हमें निरंतर इस निराकार ईश्वर की अनुभूति में जीने का अभ्यास करते रहना चाहिए ताकि मन में शांति बनी रहे।
' राजन सचदेव '
Can we call it “Realization or Gyan and it’s perpetual awareness “
ReplyDeleteThank you Dr. Kalra ji
Delete🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteAmazing, Zero Is Nothing and Zero Is everything
ReplyDeleteDhan Nirankar.
ReplyDeleteThe zero has meaning when it follows any littlest number or effort on one’s part. Even if you lift a finger, god offers his whole grip to pull you out of the hole. Very well explained Guruji. 🙏🙏🙏🙏