क्या आप दूसरों को वही देते हैं जो आप अपने लिए चाहते हैं ?
जैसे कि प्यार, स्नेह, मित्रता, सम्मान, सहयोग, सच्चाई और ईमानदारी आदि?
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो दूसरों से भी ऐसी उम्मीद न करें।
क्या आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सम्बन्धियों की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता है?
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो दूसरों से भी ऐसी उम्मीद न करें।
क्या आप अपने सपने, दर्द, आँसू, आशाएं - अच्छा और बुरा समय - सुख और दुःख - हंसी और खुशी अपने मित्रों और सम्बन्धियों के साथ साँझा करते हैं?
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो दूसरों से भी ऐसी उम्मीद न करें।
अक़्सर जब हमें दूसरों से उचित प्रेम और सम्मान - सच्चाई और ईमानदारी नहीं मिलती है तो हम उदास और दुखी हो जाते हैं ।
लेकिन हम स्वयं - उन्हें कोई उचित प्रेम और सम्मान प्रदान नहीं करना चाहते हैं।
कारण स्पष्ट है।
क्योंकि हम सोचते हैं कि हम उनके प्यार और सम्मान के लायक हैं, लेकिन वे हमारे प्रेम और सम्मान के लायक नहीं हैं।
हम भूल जाते हैं कि प्यार और सम्मान एक तरफा नहीं - दो तरफा मार्ग है।
हम जो देते हैं वही हमारे पास लौट कर आता है।
यदि हम दूसरों का अनादर करेंगे तो वही हमारे पास लौट कर वापस आएगा।
इसलिए - सावधान रहें और ध्यान रखें कि हम दूसरों को क्या दे रहे हैं।
यदि हम प्रेम और सत्कार चाहते हैं तो प्रेम और सत्कार ही पेश करें।
' राजन सचदेव '
जैसे कि प्यार, स्नेह, मित्रता, सम्मान, सहयोग, सच्चाई और ईमानदारी आदि?
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो दूसरों से भी ऐसी उम्मीद न करें।
क्या आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सम्बन्धियों की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता है?
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो दूसरों से भी ऐसी उम्मीद न करें।
क्या आप अपने सपने, दर्द, आँसू, आशाएं - अच्छा और बुरा समय - सुख और दुःख - हंसी और खुशी अपने मित्रों और सम्बन्धियों के साथ साँझा करते हैं?
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो दूसरों से भी ऐसी उम्मीद न करें।
अक़्सर जब हमें दूसरों से उचित प्रेम और सम्मान - सच्चाई और ईमानदारी नहीं मिलती है तो हम उदास और दुखी हो जाते हैं ।
लेकिन हम स्वयं - उन्हें कोई उचित प्रेम और सम्मान प्रदान नहीं करना चाहते हैं।
कारण स्पष्ट है।
क्योंकि हम सोचते हैं कि हम उनके प्यार और सम्मान के लायक हैं, लेकिन वे हमारे प्रेम और सम्मान के लायक नहीं हैं।
हम भूल जाते हैं कि प्यार और सम्मान एक तरफा नहीं - दो तरफा मार्ग है।
हम जो देते हैं वही हमारे पास लौट कर आता है।
यदि हम दूसरों का अनादर करेंगे तो वही हमारे पास लौट कर वापस आएगा।
इसलिए - सावधान रहें और ध्यान रखें कि हम दूसरों को क्या दे रहे हैं।
यदि हम प्रेम और सत्कार चाहते हैं तो प्रेम और सत्कार ही पेश करें।
' राजन सचदेव '
कुछ लोग तो ऐसे है की उचित सम्मान स्नेह मदद सहयोग दे भी देते है परन्तु उसके बदले उन्ही से प्राप्त करनी कि आशा में इंतजार करते है अपेक्षित परिणाम ना मिलने पर दुखी हो जाते है अपने व्यवहार में परिवर्तन कर लेते है, अगर ध्यान दिया जाए हम वो सब कुछ वापस कहीं और से प्राप्त कर रहे होते है लेकिन उसी व्यक्ति विशेष से आशा रखकर उसके प्रति अपने व्यवहार को सीमित कर लेते है यही विवेक की आवश्यकता होती है
ReplyDeleteDhan Nirankar.
ReplyDeleteTreat others as you want to be treated.
First rule of Kindergarten 🙏🙏🙏🙏