चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं
है नहीं कल का भरोसा भी मगर
सौ बरस का चाहते सामान हैं
तैरते रहते हैं लहरों पे ही जो
गहराईयों के भेद से अनजान हैं
दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास
जान लेना कि वही सुल्तान हैं
करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान हैं
दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं
कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
उनकी लाशों से भरे शमशान हैं
जान दे देते हैं औरों के लिए
देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं
दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
दरअसल 'राजन ' वही इन्सान हैं
' राजन सचदेव '
दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं
है नहीं कल का भरोसा भी मगर
सौ बरस का चाहते सामान हैं
तैरते रहते हैं लहरों पे ही जो
गहराईयों के भेद से अनजान हैं
दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास
जान लेना कि वही सुल्तान हैं
करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान हैं
दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं
कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
उनकी लाशों से भरे शमशान हैं
जान दे देते हैं औरों के लिए
देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं
दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
दरअसल 'राजन ' वही इन्सान हैं
' राजन सचदेव '
Very nice
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ReplyDeleteSaturday, December 8, 2018
चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं
है नहीं कल का भरोसा भी मगर
सौ बरस का चाहते सामान हैं
तैरते रहते हैं लहरों पे ही जो
गहराईयों के भेद से अनजान हैं
दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास
जान लेना कि वही सुल्तान हैं
करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान हैं
दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं
कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
उनकी लाशों से भरे शमशान हैं
जान दे देते हैं औरों के लिए
देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं
दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
दरअसल 'राजन ' वही इन्सान हैं
' राजन सचदेव '
ReplyDeleteSaturday, December 8, 2018
चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
चार दिन के सब यहाँ मेहमान हैं
दिल में लेकिन सैंकड़ों अरमान हैं
है नहीं कल का भरोसा भी मगर
सौ बरस का चाहते सामान हैं
तैरते रहते हैं लहरों पे ही जो
गहराईयों के भेद से अनजान हैं
दौलते-सबरो-सिदक़ है जिनके पास
जान लेना कि वही सुल्तान हैं
करना चाहें सागर को मुठ्ठी में बंद
ऐसे भी दुनिया में कुछ नादान हैं
दूसरों को तो समझते कुछ नहीं
ख़ुद को लेकिन मानते भगवान हैं
कहते थे जो हम से दुनिया चलती है
उनकी लाशों से भरे शमशान हैं
जान दे देते हैं औरों के लिए
देखे कुछ ऐसे भी मेहरबान हैं
दूसरों का दर्द जिनके दिल में है
दरअसल 'राजन ' वही इन्सान हैं
' राजन सचदेव '
औरों को 'तू ' खुद को जो कहते 'आप 'हैं ,
वो ही ये श्रीभगवान केजर आप हैं।
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