Tuesday, December 4, 2018

मोक्ष का निवास किसी अन्य लोक में नहीं

मोक्षस्य न हि वासोअस्ति न ग्रामान्तरमेव वा 
अज्ञान हृदय ग्रन्थिनाशो मोक्ष इति स्मृतः 
                                     " शिव गीता "

मोक्ष का निवास किसी अन्य लोक में नहीं है 
न ही किसी गृह अथवा ग्राम में है 
ह्रदय से अज्ञान की ग्रंथि का नाश होना ही मोक्ष है। 

अर्थात मोक्ष - मृत्यु के बाद किसी अन्य लोक में जाकर नहीं मिलेगा 
या किसी अन्य लोक में निवास मिलने का नाम मोक्ष नहीं है। 
हृदय से अज्ञान का मिटना और ज्ञान का प्रकाश हो जाना ही मोक्ष है। 

                            ' राजन सचदेव '

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जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega