(महाभारत शान्तिपर्व 326/32)
अर्थ :
प्रकाश आपके अपने अंदर है - अन्यत्र नहीं
अर्थात बाहर किसी और जगह पर नहीं
महाभारत के विद्वान लेखक और महान ऋषि कहते हैं कि प्रकाश का पुंज कहीं बाहर या किसी और जगह पर नहीं है।
यह आपके भीतर ही है।
इसलिए, प्रकाश - सुख और शांति को बाहर या किसी अन्य स्थान पर नहीं, बल्कि अपने भीतर ही खोजना चाहिए।
दूसरों से प्रेरणा तो मिल सकती है - पथ प्रदर्शन तो मिल सकता है
लेकिन अंततः तो स्वयं अपने अंदर ही झाँक कर - स्वयं का निरपेक्ष निरीक्षण करके सत्यमार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करने से ही जीवन कल्याणमयी हो सकता है।
" राजन सचदेव "
Bahut hee Uttam
ReplyDeleteBeautiful and true🙏
ReplyDeleteDhan Nirankar ji
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