दिवाली या दीपावली, भारत के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है, जिसे दुनिया भर में अपार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह वह समय है जब सड़कें और गलियां रोशनी से जगमगा उठती हैं, घर गर्मजोशी और मन आशा और खुशी से भर जाते हैं।
सभी प्रमुख भारतीय धर्मों के अनुयायी—जैसे हिंदू, सिख और जैन—इस दिन को अपने-अपने धार्मिक इतिहास की किसी महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय घटनाओं से जोड़ कर प्रकाश और प्रसन्नता के इस त्योहार को मनाने के लिए अपना ही एक अलग अथवा विशिष्ट आध्यात्मिक या ऐतिहासिक कारण प्रस्तुत करते हैं।
घरों, दुकानों और कार्यस्थलों को दीयों अथवा दीपकों से प्रकाशित करने और बाहरी चमक दमक से परे - दिवाली का त्यौहार 'पुराने' को त्यागकर 'नए' का स्वागत करने - एवं नवीनीकरण और परिवर्तन से भी जुड़ा हुआ है।
लोग प्रतीकात्मक रुप से पुराने कपड़े, फर्नीचर तथा अन्य पुराने सामान को त्यागकर नए ले आते हैं। दिवाली से पहले घरों की मरम्मत और रंग-रोगन, नए घर या वाहन खरीदना, और घरेलू सामानों को नया रुप रंग देना इत्यादि सभी सामान्य प्रथाएँ हैं - ये ऐसे कार्य हैं जो परिवेश और आत्मा दोनों को तरोताज़ा करने की इच्छा को दर्शाते हैं।
लेकिन दार्शनिक और बुद्धिजीवी लोग इन परंपराओं को प्रतीकात्मक रुप से देखते हैं और अलग तरीके से उनकी व्याख्या करते हैं।
वे दिवाली को पुरानी रुढ़िवादी धारणाओं को त्यागने और नए व्यावहारिक और उत्थानकारी एवं प्रगतिशील विचारों को अपनाने के अवसर के रुप में दर्शाते हैं।
अंतर्मन में ज्ञान के दीप जलाने, अज्ञान के अंधकार को दूर करने - और आंतरिक प्रकाश के द्वारा सत्य, सद्भाव और ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रचीन वेदों में एक अति सुंदर एवं प्रसिद्ध प्रार्थना है:
"असतो मा सद् गमय - तमसो मा ज्योतिर्गमय - मृत्युर्मा अमृतं गमय"
अर्थात :
असत्य से सत्य की ओर
अंधकार से प्रकाश की ओर - अज्ञान से ज्ञान और बुद्धि की ओर - और मृत्यु से अमरता की ओर।
भगवान बुद्ध ने भी कहा था : "अप्पो दीपो भव"
अर्थात अपना दीपक स्वयं बनो
कब तक किसी और के प्रकाश में चल पाओगे?
इसलिए अपना प्रकाश स्वयं बनो - अपने हृदय में ज्ञान का दीपक जलाओ।
हम सभी मिल कर वेदों शास्त्रों एवं भगवान बुद्ध तथा अन्य धर्म ग्रंथों की उपरोक्त महान शिक्षाओं का पालन करने - अपने मन को प्रकाशित करने तथा सत्य, सद्भाव और ज्ञान की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करें ।
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
'राजन सचदेव '
अखंड सत्य
ReplyDeleteBAHUT E SUNDER . ATI SUNDER VYAKHYA KEE HAI HMARE DILON KE RAJA RAJN JEE APJI NE JEE
ReplyDeleteAPJI MAHAN VIDVAN HO