Tuesday, June 23, 2020

अगर मनचाहा बोलना चाहते हो

अगर मनचाहा बोलना चाहते हो 
   तो अनचाहा सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए 

अक़्सर हम दूसरों को कहते हैं कि आलोचना को सकारात्मक रुप से लेना चाहिए। 
हम औरों को तो विशालता और सहनशीलता की प्रेरणा देते हैं -  
लेकिन यदि कोई हमारी आलोचना करे, तो हम स्वयं उसे सकारात्मक रुप से नहीं लेते 
हमारी प्रतिक्रिया अक़्सर नकारात्मक अथवा कुछ अलग ही होती है। 

क्या दोनों स्थितियों में समानता नहीं होना चाहिए?
अगर हम अपने प्रति कोई आलोचना सुन नहीं सकते - 
तो हमें दूसरों की आलोचना करने का भी कोई हक़ नहीं है। 
                                   ' राजन सचदेव '

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Difference between Abhiman and Svaabhiman (Self-respect and Ego)

Q: Please elaborate more on how to differentiate between Abhiman and Svaabhiman - Self-respect and Ego               ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~...