पटियाला के हरमन प्यारे गीतकार विसाखी राम जी और सुशील कुमार जी पहले पागल-सेवक के नाम से और फिर अमर -सेवक के नाम से गीत लिखा करते थे। उनके गीत पूरे निरंकारी मिशन में प्रसिद्ध थे और बड़े चाव से गाए जाते थे। आज भी कई बार उनके गीत सुनने को मिलते रहते हैं।
बहुत पुरानी बात है - उन्होंने एक पंजाबी गीत लिखा - जिसके शब्द थे -
"एह संत प्यारे ने - एह रब्ब दे दुलारे ने - एहना नूं करो प्रणाम"
यह गीत संगतों में बहुत पसंद किया गया।
एक बार कुछ नए सज्जन सत्संग में शामिल थे और वे पागल-सेवक जी के गीत सुन कर बहुत प्रभावित हुए। संगत के बाद उन्होंने पागल-सेवक जी को अपने सत्संग में आने का निमंत्रण देते हुए अनुरोध किया कि वे उनके सत्संग में भी आकर कुछ भजन सुनाएं।
उनके निमंत्रण को स्वीकार करके अमर -सेवक जी ने उनके सत्संग में जाकर कुछ भजन गाए। सब लोग फ़र्श पर एक गोल दायरे में बैठे थे और बड़े प्रेम और श्रद्धा से भजनों का आनंद ले रहे थे।
एक सज्जन ने अनुरोध करते हुए कहा - कृपया वह गीत सुनाइए -
"एह संत प्यारे ने - एह रब्ब दे दुलारे ने - एहना नूं करो प्रणाम"
अमर -सेवक जी ने बड़ी नम्रता से पूछा कि आप में से संत कौन हैं ?
कृपया उन्हें सामने बिठाइए ताकि हम उनसे मुख़ातिब हो कर ये गीत गा सकें।
उन्होंने कहा " न महाराज। हम तो पापी जीव हैं। यहां कोई संत नहीं है सब जिज्ञासु हैं - सेवादार हैं। "
अमर -सेवक जी ने हाथ जोड़ कर कहा कि क्षमा करें - तब वो गीत हम यहाँ नहीं गा सकते। हम किस की ओर इशारा करके कहें कि एह संत प्यारे ने ?- एहना नूं करो प्रणाम?
जब संत अमर सिंह जी को इस घटना का पता चला तो उन्होंने इस का ज़िक्र कई बार संगतों में किया और कहा:
कि वो शायद संगत तो थी लेकिन साधसंगत नहीं।
क्योंकि साधसंगत उसे कहा जाता है जहां कोई साधु - कोई संत विराजमान हो। जहां कोई साधु या संत ही न हो तो उसे साधसंगत कैसे कहा जा सकता है?
जहां सब पापी या जिज्ञासु ही हों तो उसे जिज्ञासुओं की संगत तो कह सकते हैं - साधसंगत नहीं। जहां सब सेवादार ही सेवादार हों तो उसे तो सेवादारों की संगत कहना चाहिए।साधसंगत में अगर सभी नहीं तो कम से कम एक साधू - एक संत का होना तो ज़रुरी है। उसके बिना साधसंगत का रुप नहीं बन सकता।"
संत अमर सिंह जी - जिन्हें सब प्रेम और श्रद्धा से पिता जी कहा करते थे - हर बात को बहुत गहराई से देखते, सोचते और संगतों को समझाया करते थे।
ये मेरा सौभाग्य है कि कुछ समय उनके चरणों में रहने और उनकी सेवा करने का मौका मिला।
' राजन सचदेव '
Saints Who are living with nirankar in this world May get this spiritual height. May nirankar bless that spirituality to all Of US. I personally SAW Mathar Ali diwana g was in one village was in programme declared that Any seekor amongest big Gotherington May get brahamgyan now At the start Of his singing programme. Time changed none Dare to appeal about god knowledge in public programmes.
ReplyDeleteBhinder
Please read mathar word As maghar Ali diwana g
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