Friday, November 13, 2020

अबके दीवाली हम ऐसे मनाएँ

अबके दीवाली हम ऐसे मनाएँ 
ज्ञान के दीपक मन में जलाएं 

ज्ञान की ज्योति मन में जला कर 
अज्ञानता का अँधेरा मिटाएं 

अपने घरों को रोशन करें पर 
औरों के घर के दिए न बुझाएं 

दीपक जलाएं नए चाहे लेकिन 
जो बुझ रहे हैं उन्हें भी बचाएं 

अबके दीवाली पे बाहर न निकलें 
घर में ही बैठ के उत्सव मनाएं 

घर को सजाना भी ठीक है लेकिन 
दिव्य -गुणों से  जीवन  सजाएं 

तोहफ़े अमीरों को देने के बदले  
ग़रीबों के उजड़े घरों को बसाएं 

मिठाई के बदले में इस बार यारो 
रिश्तों - संबंधों को मीठा बनाएं 

अगर बाँटना ही ज़रुरी है कुछ,तो 
चलो  दीन दुखियों  के दर्द बंटाएं 

गिराएं नहीं - बल्कि ऊँचा उठाएं 
छोटे - बड़े को गले से लगाएं 

लक्ष्मी की पूजा में ही मगन हो कर  
देखो  - नारायण को न भूल जाएं 

उज्ज्वल हो मन ज्ञान की रौशनी से 
'राजन 'दीवाली हम ऐसे मनाएँ  

'राजन 'दीवाली हम ऐसे मनाएँ  
ज्ञान  के दीपक मन में जलाएं 
                ' राजन सचदेव  '

1 comment:

बहरों को शिकायत है Behron ko shikaayat hai (The deaf accuse me)

अंधे निकालते हैं चेहरे में मेरे नुक़्स  बहरों को शिकायत है ग़लत बोलता हूँ मैं     ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~   Andhay nikaaltay hain chehray me meray...