Sunday, November 22, 2020

गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे

                 गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे
            दिल से बेहतर कोई किताब नहीं 

स्वयं को पढ़ना सबसे कठिन काम है 
दूसरों को पढ़ना  - उन पर टिप्पणी करना आसान है 
लेकिन स्वयं को निष्पक्ष द्रिष्टि से देखना  - 
स्वयं का यथार्थ अवलोकन और निष्पक्ष निरीक्षण करना बहुत  कठिन है। 

सच्चाई के साथ स्वयं का मूल्यांकन करना - आध्यात्मिकता के मार्ग पर पहला कदम है जो शाश्वत शांति की मंजिल की ओर ले जाता है।

प्राचीन भारतीय शास्त्रों ने बाहर नहीं - बल्कि भीतर खोज करने पर जोर दिया। 
भीतर - अर्थात अपनी स्वयं की कमियों की खोज। 
ताकि वे तत्व अथवा भावनाएँ - जो हमारे वास्तविक स्वरुप को दूषित या आच्छादित कर सकते हैं - ढ़क लेते हैं - उन्हें हटाने का प्रयास कर सकें  - उन्हें दूर करने की कोशिश कर सकें। 
जब हम दूसरों का मूल्यांकन करना बंद कर देते हैं - दूसरों को जांचने और परखने की बजाए खुद का मूल्यांकन करना शुरु कर देते हैं, तो हम अपनी मंज़िल की ओर आगे बढ़ने लगते हैं।
                                         ' राजन सचदेव '

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega