Friday, January 19, 2018

पाप का बाप

एक प्रचारक अथवा उपदेशक महात्मा एक छोटे से शहर में रहते थे
बहुत-से लोग उनका उपदेश सुनने के लिए रोज़ उनके स्थान पर आते थे 
कभी कभी, एक बूढ़ी औरत भी वहां आती और दरवाजे के पास ही सीढ़ियों  पर बैठ कर प्रवचन सुनती। उसे दूसरों के साथ अंदर बैठने की इजाजत नहीं थी क्योंकि उसे एक तथाकथित निम्न श्रेणी - नीची जात से संबधित  माना जाता था।
एक दिन महात्मा जी  'पाप' पर  प्रवचन दे रहे थे । उन्होंने कहा "पाप से बचो क्योंकि पाप का फल है नर्क।  
पाप से सावधान रहना चाहिए क्योंकि पाप का नतीजा है - नरक की तरह दुःख भोगना ।" 
तभी अचानक दरवाजे के पास बैठी उस महिला ने  पूछा:
"ज्ञानी जी !  पाप  का बाप कौन है? "
पुजारी जी दंग रह गए । जब उन्हें इस बात का कोई  जवाब नहीं सूझा तो वो गुस्से में बोले, "एक नीच वर्ग की महिला को सवाल पूछने का कोई अधिकार नहीं है।  तुम्हें तो यहां बैठने का भी कोई अधिकार नहीं है। तुरंत  यहां से बाहर निकल जाओ।"
पुजारी के कुछ अनुयायियों ने भी चिल्लाकर उसे वहां से निकाल दिया। 

अगले दिन उस महिला ने अचानक गली में जाते हुए पुजारी जी को देखा तो उन के पास चली गयी और हाथ जोड़कर, पिछली घटना के लिए माफी मांगने लगीं ।  साथ ही उनसे निवेदन किया कि उसके पास हीरों से जड़ित एक सोने का हार है - जो वह उन्हें क्षमा के बदले में पेश करना चाहती है - अगर वह उसके घर आने की  कृपा करें। पुजारी इस प्रस्ताव पर हैरान हो गया और साथ ही साथ असमंजस में भी पड़ गया। उनकी धारणा के अनुसार वह एक कम- ज़ात वाली इस्त्री के घर जाने के लिए तैयार नहीं थे । 
लेकिन हीरे जड़ित सोने का हार मिलने की बात बेहद आकर्षक थी। उन्होंने एक पल के लिए सोचा और कहा " शास्त्रों के अनुसार, सभी इंसान एक ही सर्वशक्तिमान ईश्वर की संतान हैं और सब में एक ही आत्मा निवास करता है। इसलिए, मुझे आपके घर आने में कोई ऐतराज नहीं है "।
महिला बहुत खुश हुई और उन्हें अगले दिन आने के लिए अनुरोध किया।
अगले दिन, प्रचारक महात्मा उस महिला के घर पहुँच गए 

महिला ने उनके लिए कुछ भोजन तैयार किया हुआ था जिसे वो चांदी के बने बर्तनों में लाईं और उनके सामने रख दिया। 
महात्मा उसके द्वारा तैयार किया गया भोजन खाने में हिचकिचाने लगे। उनको झिझकते देखकर, महिला ने कहा कि मैंने सोच रखा था कि जिन बर्तनों में आप भोजन खाएंगे वह  बर्तन भी मैं आप को ही भेंट कर  दूंगी।
पुजारी ने चमकते हुए चांदी के बर्तनों को देखा और झट से खाने के लिए बैठ गया।

जब वह भोजन खा रहा था, तो उस महिला ने सोने के एक कटोरे में दूध लाकर उसके पास रख दिया। पुजारी को अपने भाग्य पर विश्वास नहीं हो रहा था। ये सभी चांदी के बर्तन और सोने का कटोरा भी उन्हें मिलने वाला है - यह सोच कर वो मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे कि अचानक एक कुत्ता भागते हुए आया और कटोरे में जीभ डाल कर दूध पीने लगा*। 
महिला ने उसे जल्दी से दूर भगा दिया और हाथ जोड़ते हुए कहा: "ज्ञानी जी - महात्मा जी - यह सोने  का कटोरा तो मैं आप ही को देना चाहती थी मुझे इस कुत्ते के आने और इस कटोरे को जूठा करने का बहुत भारी दुःख हो रहा है"। 

पुजारी उन चांदी के बर्तनों और सोने के कटोरे को खोना नहीं चाहता था।  उसने अपने मन में  सोचा कि 'मैं बाद में कोई धार्मिक अनुष्ठान करके स्वयं को शुद्ध कर सकता हूं, लेकिन सोने व् चांदी के बर्तनों को प्राप्त करने का ऐसा अवसर मुझे फिर कभी नहीं मिल पाएगा ।'
यह सोचकर, उसने महिला से कहा- "धर्म शास्त्रों का कहना है कि न सिर्फ मनुष्यों में - बल्कि सभी प्राणियों में एक जैसी ही आत्मा है
यह कहकर उसने सोने का कटोरा पीने के लिए उठा लिया। 
लेकिन इस से पहले कि कटोरा उसके होंठों तक पहुंचता, महिला ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा:
"अरे महात्मा - ठहरो।  रुक जाओ।
क्या आपको याद है कि मैंने आपको सत्संग में क्या प्रश्न पूछा था? 
जिसका जवाब आपके पास नहीं था।
मैंने आपको उस प्रश्न का सही उत्तर देने के लिए ही यहां आमंत्रित किया था।
उस दिन आप मुझे अपने सत्संग में बैठने भी नहीं देना  चाहते थे।  मेरे प्रश्न पूछने पर भी आपको एतराज़ था  क्योंकि मेरा जन्म एक तथाकथित निम्न घराने में हुआ है।
लेकिन फिर आप मेरे घर आने के लिए भी सहमत हो गए -  यह सोच कर कि आपको हीरे जड़ित सोने का हार मिलेगा।
और जब आप आए, तो आपका कहना था कि मेरे जैसे किसी व्यक्ति द्वारा तैयार किए गए भोजन को खाने से आपका धर्म नष्ट हो जाएगा। लेकिन चाँदी  के बर्तनों को देख कर आप मेरा भोजन खाने के लिए तैयार हो गए। 
यहाँ  तक कि सोने के कटोरे को देख कर अब आप कुत्ते का जूठा दूध भी पीने को तैयार हैं - 
सिर्फ इसलिए कि आप यह सोने और चांदी के बर्तन अपने साथ ले जा सकें ?
तो यह मेरे उस प्रश्न का जवाब है।
अब  आपको समझ आया कि पाप का बाप कौन है?
पाप का बाप है लालच। 
यह लालच ही तो है जिसने आपको वह सब करने पर राज़ी कर लिया  जो आप नहीं करना चाहते थे।

एक बात और। 
यह सब सोने और चाँदी के बर्तन और हीरे जड़ित  हार भी आपके उपदेशों और व्याख्यानों की तरह ही नकली हैं।
पहले, आप स्वयं लालच से छुटकारा पाएं - फिर दूसरों को भी इस से बचने का उपदेश करें। 

याद रखें: लालच सभी बुराइयों की जड़ है। 

                                  'राजन  सचदेव' 

2 comments:

  1. Nice story to learn How to live in world

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  2. Very inspirational....Dhan Nirankar ji

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega