Friday, January 12, 2018

आया है जो दुनिया में इक दिन दुनिया से जाएगा

रेगिस्तानों में तुम ने क्या उड़ती देखी रेत कभी ?
दावानल में तुमने जलते देखे हैं क्या खेत कभी ? 
वहाँ जो रेत का टीला था - न जाने उड़ के गया कहां 
लहराती थीं फसलें जिस में - पल भर में हो गया वीरां 

सागर तट पर जाकर बच्चे रेत के महल बनाते हैं 
आती जाती लहरों से पल भर में वो बह जाते हैं 
सूरज के आते ही जैसे तारे सब छिप जाते हैं 
जैसे जल में बुदबुदे उठते हैं और मिट जाते हैं 

कुछ ऐसा ही छिनभंगुर - ये जीवन का अफ़साना है 
कहते हैं जीवन का मतलब तो आना और जाना है 

सागर से लहरें उठ कर साहिल से आ टकराती हैं 

न जाने किस हसरत में धरती से मिलने आती हैं 
जाते जाते साथ अपने कुछ मिट्टी भी ले जाती हैं 
कभी कभी कुछ लहरें सीप और मोती भी दे जाती हैं 

सागर से जल लेकर बादल धरती पे बरसाते हैं 

पर्वत से नदियां नाले  जल मैदानों में लाते हैं 
सूरज से हो कर रौशन, रातों को चाँद चमकता है 
सिलसिला क़ुदरत का लेने - देने से ही चलता है 

आना जाना - लेना देना - यही तो है जीवन का खेल 
किसी से मिलना और बिछड़ना सब है संजोगों का मेल 
कौन किसी के आवे जावे - दाना पानी किस्मत ल्यावे 
कोई किसी को किछु न देवे आपुन कीया हरकोई पावे

बैठ के कुछ पल आँगन में पंछी जैसे उड़ जाते हैं 

देख के सूखी नदियों को - जैसे प्यासे मुड़ जाते हैं 
आया है जो दुनिया में इक दिन दुनिया से जाएगा 
नाम रहेगा उसका जो दुनिया को कुछ दे जाएगा 

सोच रहा हूँ 'राजन ' कि जब मैं दुनिया से जाऊँगा 

जाते जाते क्या मैं भी दुनिया को कुछ दे पाउँगा ?
पहले 'गर लेना सीखेंगे - तभी तो कुछ दे पाएंगे 
पास नहीं कुछ होगा तो कुछ देकर कैसे जाएंगे ?
                          'राजन सचदेव '

रेगिस्तान            -----  Desert
दावानल             ----   Forest Fire 
टीला              ----       small hill
छिनभंगुर     -----      Temporary

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega