कुछ पत्थर के टुकड़ों को
सोने से मढ़ दिया अगर
तो क्या किया ?
माना - कि
बाहर का सोना तो चमकेगा, मगर
अंदर का पत्थर भी चमक जायेगा क्या?
बोतल के बाहर चिपका दें
लेबल अमृत का अगर
अंदर भरा हुआ है जो उस में ज़हर
वो भी अमृत बन जायेगा क्या ?
बाहर जिस्मों को सजाया
ख़ूब सँवारा और शिंगारा
सुंदर तो लगता है लेकिन -
जीवन सुखमय क्या होगा जो मन को न निखारा?
तन और मन दोनों हों सुंदर
जो हो बाहर - वही हो अंदर
निर्मल मन की बगिया में ही
विशुद्ध प्रेम का फूल खिलेगा
जब ज्ञान-दीप अनवरत जलेगा
तब 'ऱाजन' परम आनन्द मिलेगा
' राजन सचदेव '
सोने से मढ़ दिया अगर
तो क्या किया ?
माना - कि
बाहर का सोना तो चमकेगा, मगर
अंदर का पत्थर भी चमक जायेगा क्या?
बोतल के बाहर चिपका दें
लेबल अमृत का अगर
अंदर भरा हुआ है जो उस में ज़हर
वो भी अमृत बन जायेगा क्या ?
बाहर जिस्मों को सजाया
ख़ूब सँवारा और शिंगारा
सुंदर तो लगता है लेकिन -
जीवन सुखमय क्या होगा जो मन को न निखारा?
तन और मन दोनों हों सुंदर
जो हो बाहर - वही हो अंदर
निर्मल मन की बगिया में ही
विशुद्ध प्रेम का फूल खिलेगा
जब ज्ञान-दीप अनवरत जलेगा
तब 'ऱाजन' परम आनन्द मिलेगा
' राजन सचदेव '
Beautiful poem....Dhan Nirankar ji
ReplyDeleteDeep reality of life
ReplyDeleteBeautiful!!
ReplyDeleteNice one ji!!
ReplyDeleteNoble words. Whether wE sincerely wants to Attain this blissful position For soul oN the basis Of hearsayings Of the past and present
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